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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार बैंकिंग फ्रॉड को रोकने में कोई बड़ी भूमिका नहीं निभा सकता है. साथ ही उसने यह सवाल भी किया है कि क्या कुछ आतंकियों को पकड़ने लिए सारे लोगों के मोबाइल फोन आधार से लिंक करा दिए जाने चाहिए.
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कई बैंक अधिकारी घोटालेबाजों से जुड़े होते हैं. स्कैम सिर्फ इसलिए नहीं होते हैं कि अधिकारियों को अपराधियों के बारे में लोगों को मालूम नहीं होता. कोर्ट ने आधार की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील की दलील के बाद यह बात कही. केंद्र के वकील का कहना था कि आधार आतंकवाद और बैंकिंग फ्रॉड जैसे अपराधों को रोकने में मदद कर सकता है.
अदालत ने केंद्र ने पूछा कि कल को अगर यूआईडीएआई जैसा अथॉरिटी एक प्रशासनिक आदेश के जरिये नागरिकों को अपना डीएन, वीर्य या ब्लड सैंपल आधार डेमोग्राफिक के तौर पर जमा करने को कहे तो क्या होगा.
आधार की वैधता पर सुनवाई कर रही है चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली पांच जजों की संविधान बेंच सरकार की इस दलील से सहमत नहीं थी कि आधार से बैंकिंग फ्रॉड रोका जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार की ओर से राष्ट्रीय हित के प्रयास हो सकते हैं लेकिन क्या कुछ लोगों को पकड़ने के लिए पूरी आबादी को आधार लिंक कराने के लिए कहा जा सकता है? बेंच ने उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार हिंसा के हालात से निपटने के लिए इंटरनेट सेवा को ठप कर देती है और कोई भी उसके अधिकार पर सवाल नहीं उठाता है, लेकिन यहां मसला सभी नागरिकों से अपने मोबाइल को आधार से लिंक कराने के लिए कहने का है.
सुप्रीम कोर्ट में आधार को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह लोगों के निजता के अधिकार में सेंध लगाता है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इस पर सुनवाई कर रही है. इस सुनवाई की वजह से से कई चीजों के लिए आधार को जरूरी अनिवार्य कर देने के लिए फैसले सरकार ने अभी रोक लिए हैं.
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