advertisement
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि न्यायिक व्यवस्था की आलोचना बंद करें. क्योंकि वे खुद अपना काम नहीं कर रहे हैं. जस्टिस मदन बी लोकुर ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अमन लेखी को कहा कि यह काफी अजीब बात है, आप अपना काम नहीं कर रहे हैं और अपनी कमी छिपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हैं. अपने लोगों (केंद्र) को बताइए कि न्यायिक व्यवस्था के बारे में बोलना बंद करें.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को उसकी कमी गिनाते हुए कहा कि क्रिमिनल केसों के स्पीडी ट्रायल के लिए आपकी तरफ से कोई भी अहम कदम नहीं उठाया गया है. आपने यहां अपना काम नहीं किया है. लेकिन आप हमेशा न्यायिक व्यवस्था को न्याय में देरी के लिए कोसते हैं.
सुप्रीम कोर्ट को सरकार की तरफ से कई मुद्दों पर कोसा जा चुका है. सबसे बड़ा मुद्दा राम मंदिर का है, जिस पर सरकार के कई मंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक व्यवस्था और सुनवाई में देरी को गलत बताया. पिछले काफी दिनों से नेताओं की तरफ से इस पर बयानबाजी हो रही है और सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की जा रही है. सरकार और कई संगठनों की तरफ से कोर्ट पर जल्द फैसले का दबाव बनाया जा रहा है.
राम मंदिर के अलावा केरल के सबरीमाला मंदिर मामले पर भी कई बार नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए. खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर लोगों की भावनाओं का ध्यान रखने की सलाह दे डाली थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी मुद्दे का जिक्र नहीं किया, लेकिन कहीं न कहीं इन कोर्ट सरकार को यह बताना चाहता था कि उसे अपना काम करने दिया जाए. इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को उनकी कमियां गिनाते हुए अपना पक्ष रखा.
बता दें, 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी थी. कोर्ट ने 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक की कई साल पुरानी परंपरा को असंवैधानिक करार दिया था. लेकिन इसके बाद से ही कई हिंदू संगठन और खुद केंद्र सरकार ने फैसले के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी. अब सबरीमाला मंदिर फैसले पर पुनर्विचार याचिका को मंजूर कर लिया गया है. 22 जनवरी को खुली अदालत में इसकी सुनवाई होगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)