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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह बहुत हैरानी की बात है कि राज्य में 30 साल से ज्यादा सेवा देने के बाद मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Param Bir Singh) अब कह रहे हैं कि उन्हें राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है.
सिंह के खिलाफ चल रही जांच महाराष्ट्र से बाहर किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की वेकेशन बेंच ने यह बात कही.
बेंच ने कहा, ‘‘यह सामान्य कहावत है कि शीशे के घर में रहने वालों को दूसरों पर पत्थर नहीं उछालना चाहिए.’’ कोर्ट ने जब कहा कि वो याचिका खारिज करने का आदेश जारी करेगा, तो सिंह के अधिवक्ता ने कहा कि वह याचिका वापस लेंगे और दूसरा न्यायिक उपाय अपनाएंगे.
सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि याचिका दायर करने वाले के खिलाफ एक के बाद एक मुकदमे सिर्फ इसलिए दायर नहीं किए जा सकते क्योंकि वह व्हिसिलब्लोअर है.
उन्होंने कहा कि सिंह फिलहाल उनके खिलाफ चल रही सभी जांच को राज्य के बाहर ट्रांसफर करने और जांच सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने का निर्देश देने का अनुरोध कर रहे हैं.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही सुनवाई में जेठमलानी ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों की सीबीआई जांच कराने का आदेश दे चुका है.
उन्होंने दलील दी कि जांच अधिकारी सिंह पर उस लेटर को वापस लेने का दबाव बना रहे हैं जिसमें उन्होंने पूर्व मंत्री के खिलाफ आरोप लगाए हैं.
जेठमलानी ने बेंच से कहा कि सिंह किसी ‘शीशे के मकान’ में नहीं रह रहे हैं और उन्हें फंसाने के लिए फर्जी मुकदमे दायर किए गए हैं.
(PTI के इनपुट्स समेत)
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