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दिल्ली दंगे केस में 3 छात्र एक्टिविस्ट की जमानत रद्द करने पर SC- 'काफी असंभव है'

Devangana Kalita, Natasha Narwal और Asif Iqbal Tanha की जमानत रद्द कराने के लिए पुलिस की याचिका

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भारत
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<div class="paragraphs"><p><strong>हाई कोर्ट के लंबे आदेश से 'परेशान' Supreme Court</strong></p></div>
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हाई कोर्ट के लंबे आदेश से 'परेशान' Supreme Court

(फोटो: IANS)

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 22 जुलाई को दिल्ली पुलिस को मौखिक रूप से बताया कि छात्र एक्टिविस्ट देवांगना कालिता (Devangana Kalita), नताशा नरवाल (Natasha Narwal) और आसिफ इकबाल तन्हा (Asif Iqbal Tanha) की जमानत रद्द करने के लिए कोर्ट को राजी कर पाना 'काफी असंभव' है. दिल्ली दंगों के तीनों UAPA आरोपियों को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दी थी.

हालांकि, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने कहा कि जमानत आदेश में वैधानिक प्रावधानों पर लंबी बहस पर उसका दूसरा नजरिया हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, "दिल्ली पुलिस तीनों एक्टिविस्ट को दी गई जमानत से परेशान है या दिल्ली हाई कोर्ट की जमानत आदेश में UAPA की व्याख्या से." बेंच ने मेहता से कहा कि 'आप उन्हें कस्टडी में चाहते हैं?'

इस पर तुषार मेहता ने जवाब दिया, "हम दोनों मुद्दों से परेशान हैं. हम दोनों बिंदुओं पर आपको राजी करने की कोशिश करेंगे."

जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, "काफी असंभव है, लेकिन आप कोशिश कर सकते हैं."

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हाई कोर्ट के लंबे आदेश से 'परेशान' सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो दिल्ली हाई कोर्ट के लंबे जमानत आदेश से 'परेशान' है, जिसमें UAPA के प्रावधानों की चर्चा और उसकी व्याख्या दी गई है. कोर्ट ने साफ किया कि वो इस मामले में सुनवाई के लिए कई घंटे नहीं देगा.

जस्टिस कौल ने कहा कि एक मुद्दा जमानत का है और एक टिप्पणियों का है और मुख्य ये राजनीतिक मुद्दा समझ नहीं आता है. सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया, "ये राजनीतिक मुद्दा नहीं है."

"मुझे धैर्य खोने पर मजबूर मत कीजिए. आप मुझे बोलने नहीं दे रहे हैं. मैं सिर्फ मामले को अलग-अलग कर रहा हूं. क्या मैं सुनवाई 6 महीने के लिए टाल दूं?"
जस्टिस संजय किशन कौल

छात्र एक्टिविस्ट की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. सिब्बल ने कहा, "चार्जशीट 20,000 पन्नों की है. इस बीच पेन ड्राइव फाइल करने की इजाजत दीजिए. नहीं तो हम मामले में तर्क नहीं दे पाएंगे."

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को चार हफ्तों के लिए स्थगित कर दिया है.

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