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भारत में पुलिस व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठते आए हैं, फिर चाहे वो पुलिस की कस्टडी में मौत के मामले हों या फिर बेवजह टॉर्चर करने के आरोप, इन तमाम चीजों को लेकर पुलिस रिफॉर्म की बात भी लगातार होती है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए सभी पुलिस स्टेशनों और जांच एजेंसियों के दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने को कहा था, जिसका पालन नहीं किया गया. इस मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2020 में सरकार को ये आदेश जारी किया था कि पुलिस से संबंधित सभी दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. लेकिन उसका पालन नहीं होने पर जब सरकार से सवाल किया गया तो सरकार ने कहा कि अभी उसे और वक्त चाहिए. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर एक चिट्ठी दाखिल की, जिसमें फैसले पर स्थगन यानी कुछ समय तक के लिए रोक की बात कही गई थी. अब इसी चिट्ठी को लेकर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नरीमन ने सरकार से कहा कि, हमें ये अलग ही धारणा मिल रही है कि आप अपने पैरों को पीछे खींच रहे हैं. आपने ये किस तरह की चिट्ठी लिखी है?
लाइव लॉ के मुताबिक जब सॉलिसिटर जनरल ने इसके जवाब में ये तर्क दिया कि ऐसा कोर्ट के आदेश के प्रभाव को लेकर किया गया तो जस्टिस नरीमन ने कहा कि,
सरकार ने इसके लिए फंड जुटाने की कोशिशों का भी जिक्र किया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमें बताएं कि कितना फंड जुटाया गया है. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से जवाब देने के लिए 10 दिनों का समय मांगा.
कोर्ट ने आखिर में कहा कि सरकार ने पिछले आदेश में जारी निर्देशों का पालन अब तक नहीं किया है. इसीलिए हम सरकार को निर्देश जारी करते हैं कि अगले तीन हफ्तों में एक हलफनामा दाखिल कर ये बताए कि कितने वित्तीय खर्च की आवश्यकता है. साथ ही ये भी बताया जाए कि कोर्ट ने जो निर्देश जारी किए थे, उनका पालन कब तक हो पूरा हो जाएगा.
बता दें कि पिछले साल 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जांच एजेंसियों के दफ्तरों में सीसीटीवी और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने के निर्देश दिए थे. जिनमें सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) जैसी एजेंसियां शामिल हैं. इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि, “क्योंकि इनमें से ज्यादातर एजेंसियां अपने ऑफिस में पूछताछ करती हैं, इसलिए सीसीटीवी अनिवार्य रूप से उन सभी कार्यालयों में लगाए जाएंगे जहां इस तरह की पूछताछ और आरोपियों की पकड़ उसी तरह होती है, जैसे किसी पुलिस स्टेशन में होती है.”
अब इसी आदेश को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई गई है. वहीं राज्यों को पुलिस स्टेशनों में कैमरे लगाने की डेडलाइन मिल चुकी है. बता दें कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक जो सीसीटीवी सिस्टम लगाए जाने हैं, उन्हें नाइट विजन से लैस होना चाहिए और जरूरी है कि ऑडियो के साथ-साथ वीडियो फुटेज भी साफ हो. साथ ही 18 महीने तक की फुटेज संभालकर रखने के निर्देश दिए गए थे.
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