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सुप्रीम कोर्ट ने 31 मई को केंद्र सरकार से कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) की खरीद के लिए 'ड्यूल पॉलिसी' और कोविन प्लेटफॉर्म एक्सेस करने को लेकर कड़े सवाल पूछे. कोर्ट कोविड मैनेजमेंट पर स्वतः संज्ञान का मामला सुन रहा था. कोर्ट ने कहा कि पूरे देश में वैक्सीन का एक ही दाम होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि राज्यों को कोविड वैक्सीन के लिए ज्यादा कीमत क्यों अदा करनी पड़ रही है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस रविंद्र भट की बेंच ने वैक्सीन के लिए 'यूनिफॉर्म प्राइसिंग पॉलिसी' अपनाने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि जब वो 45+ आयु समूह के लिए 100% डोज राज्यों को उपलब्ध करा रहा है तो 18-44 के लिए सिर्फ 50 फीसदी डोज क्यों दे रहा है.
कोर्ट ने कहा. "18-44 के लिए 50 फीसदी मैन्युफेक्चरर्स से राज्य केंद्र के निर्धारित दाम पर खरीद रहे हैं और बाकी निजी अस्पतालों को दी जाएंगी. इसका असल में आधार क्या है?"
कोर्ट ने न सिर्फ वैक्सीन की कीमत पर दोहरी नीति पर सरकार से सवाल किए, बल्कि उसने सरकार से पूछा आप वैक्सीन के लिए कोविन पर रजिस्ट्रेशन की शर्त रख रहे हैं लेकिन गांव के लोग कैसे रजिस्ट्रेशन कराएंगे.
इस पर सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि हर गांव में एक कंप्यूटर है, जो इंटरनेट से जुड़ा है. गांव के लोग वहां जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि गांवों में हर व्यक्ति को सामुदायिक सेवा केंद्र में जाकर रिजस्टर कराना है, क्या ये व्यवहारिक भी है? कोर्ट ने कहा कि आप ये नहीं कर सकते कि रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे तो वैक्सीन नहीं मिलेगी.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर कोर्ट को करना होता तो वो 15 दिन पहले कर चुका होता लेकिन वो चाहता है केंद्र स्थिति समझे कि देश में क्या हो रहा है.
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