Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कावेरी जल विवाद: कर्नाटक के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

कावेरी जल विवाद: कर्नाटक के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

जानिए क्या है कावेरी जल विवाद

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकती है कावेरी जल विवाद पर फैसला
i
सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकती है कावेरी जल विवाद पर फैसला
(फोटो: PTI)

advertisement

कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के पक्ष में फैसला सुनाया है. अब तमिलनाडु के पानी की सप्लाई कम हो जाएगी.

  • कर्नाटक अपने अंतरराज्यीय बिलीगुंडलु बांध से कावेरी नदी का 177.25 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसीएफटी) पानी तमिलनाडु के लिए छोड़े
  • कर्नाटक को 14.75 टीएमसीएफटी जल अधिक मिलेगा, जो ट्रिब्यूनल द्वारा साल 2007 में निर्धारित 270 टीएमसीएफटी कावेरी जल से ज्यादा होगा
  • साल 2007 में ट्रिब्यूनल द्वारा केरल को दिए गए 30 टीएमसीएफटी और पुडुचेरी को दिए गए 7 टीएमसीएफटी जल में कोई बदलाव नहीं होगा
  • तमिलनाडु को ट्रिब्यूनल द्वारा आवंटित 419 टीएमसीएफटी की बजाय अब कावेरी नदी का 404.25 टीएमसीएफटी जल मिलेगा
  • कोर्ट ने तमिलनाडु को कावेरी बेसिन के नीचे कुल 20 टीएमसीएफटी जल में से अतिरिक्त 10 टीएमसीएफटी भूजल निकालने की अनुमति दी
  • कोर्ट ने कहा कि बेंगलूरू के निवासियों की पेयजल और भूजल आवश्यकताओं के आधार पर कर्नाटक के लिए कावेरी जल का आवंटन बढ़ाया गया
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पानी राष्ट्रीय संपत्ति है
  • कोर्ट ने कहा- कोई राज्य नदी पर अधिकार होने का दावा नहीं कर सकता
  • फैसला लागू करना केंद्र का काम

दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नदी पर कोई भी राज्य अधिकार का दावा नहीं कर सकता है. कोर्ट ने इस मामले में पानी का बंटवारा किया है. कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाले पानी को घटाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि तमिलनाडु को अब 177.25 टीएमसी और कर्नाटक को 14.75 टीएमसी पानी दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कर्नाटक को फायदा पहुंचेगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस फैसले को लागू कराने का काम केंद्र सरकार का है.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने पिछले साल 20 सितंबर को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है.

तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को चुनौती दी थी. दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर 2007 में सीडब्ल्यूडीटी ने कोवरी बेसिन में जल की उपलब्धता को देखते हुए एकमत से निर्णय दिया था. फैसले में तमिलनाडु को 419 टीएमसीफुट (हजार मिलियन क्यूबिक फुट) पानी आवंटित किया गया, कर्नाटक को 270 टीएमसीफुट, केरल को 30 टीएमसीफुट और पुंडुचेरी को सात टीएमसीफुट पानी आवंटित किया गया था. अदालत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इसके फैसले के बाद ही कोई पक्ष कावेरी से जुड़े मामले पर गौर कर सकता है.

बेंगलुरू में सुरक्षा कड़ी

कावेरी जल विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने को लेकर बेंगलुरू में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त टी सुनील कुमार ने कहा कि 15 हजार पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात किया गया है. इसके अलावा कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस के कर्मी और अन्य सुरक्षाबलों को भी तैनात किया गया है.

आयुक्त ने कहा, ‘‘संवेदनशील इलाकों का विशेष ध्यान रखा गया है, जहां पहले इस मामले को लेकर दंगे हो चुके हैं.'' कर्नाटक दावा करता रहा है कि कृष्णराज सागर बांध में सिर्फ उतना पानी है जो केवल बेंगलुरू की आवश्यकता को पूरी करता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

जानिए- क्या है सालों पुराना कावेरी जल विवाद केस?

कावेरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है. यह पश्चिमी घाट के पर्वत ब्रह्मगिरी से निकली है. इसकी लंबाई करीब 800 किलोमीटर है. कावेरी नदी के डेल्टा पर अच्छी खेती होती है. इसके पानी को लेकर दो राज्यों के बीच सालों से विवाद चला आ रहा है.

कावेरी नदी के जल पर चार राज्यों के करोड़ों लोग निर्भर हैं. साल 1990 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल ( Cauvery Water Disputes Tribunal) की स्थापना हुई. ट्रिब्यूनल ने साल 2007 में इस मामले में अपना आदेश दिया ता. ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में तमिलनाडु को 419 टीमएसी फुट, कर्नाटक को 270 टीमएसी फुट, केरल को 30 टीएमसी फुट और पुंडुचेरी को 7 टीएमसी फुट जल का आवंटन किया था.

पिछले कुछ सालों में अनियमित मानसून और बेंगलुरु में भारी जल संकट की वजह से कर्नाटक बार-बार यह कहता रहा है कि उसके पास कावेरी नदी बेसिन में इतना पानी नहीं है कि वह तमिलनाडु को उसका हिस्सा दे सके. वहीं, तमिलनाडु का तर्क है कि राज्य के किसान साल में दो फसल बोते हैं, इसलिए उन्हें कर्नाटक के मुकाबले ज्यादा पानी मिलना चाहिए.

साल 2016 में कावेरी विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद पूरे कर्नाटक में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 16 Feb 2018,09:52 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT