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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के आचार संहिता उल्लंघन मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया है.
सुष्मिता देव ने अपने हलफनामे में कहा है कि चुनाव आयोग ने दूसरे नेताओं पर पाबंदी लगाई, लेकिन पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट दे दी. सुष्मिता देव ने पूर्व पीएम राजीव गांधी को लेकर दिए गए पीएम मोदी के बयान की जानकारी भी सुप्रीम कोर्ट को दी है. इस मामले में बुधवार को सुनवाई हो सकती है.
पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर कथित आचार संहिता उल्लंघन को लेकर दाखिल गई गई अपनी याचिका में कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. इस हलफनामे में कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रतिवादी निर्वाचन आयोग यह बता पाने में विफल रहा है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा दी गई कथित हेट स्पीच रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट-1951 की धारा-123A के तहत 'भ्रष्ट आचरण' है.
दरअसल, कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने याचिका दाखिल करके सुप्रीम कोर्ट से दोनों नेताओं के खिलाफ की गई हेट स्पीच को लेकर दी गई शिकायतों पर बिना किसी दबाव के निर्णय लेने के लिए चुनाव आयोग को निर्देशित करने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव से कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले में क्लीनचिट दिए जाने के निर्वाचन आयोग के आदेश से संबंधित सबूत ऑन रिकॉर्ड अदालत में पेश करें.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि चुनाव आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभाव में है. एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा 21 विपक्षी पार्टियों की याचिका को खारिज करने के बाद की. विपक्षी पार्टियों ने वीवीपैट की पर्चियों के मिलान संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आठ अप्रैल के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था.
मलिक ने आरोप लगाया कि ईवीएम और वीवीपैट से निकली पर्चियों का आपस में मिलान नहीं होने की संभावना के बावजूद चुनाव आयोग ने कोई वैकल्पिक समाधान नहीं तलाशा. एनसीपी नेता यह भी अंदेशा जताया कि इसी कारण से जिस दिन नतीजों का ऐलान किया जाएगा तब भी गड़बड़ी हो सकती है.
मलिक ने कहा, ‘‘एनसीपी लोकतंत्र में लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए कोशिश कर रही है, लेकिन चुनाव आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभाव में आ गया है.’’
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