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सोशल मीडिया पर इन दिनों एक नकाब पहने और स्विगी (Swiggy) का बैग लिए महिला की फोटो तेजी से वायरल हो रही है. महिला का नाम रिजवाना है और लखनऊ चौक में जगत नारायण रोड पर बसी जनता नगरी कॉलोनी में रहती हैं.
वो अपने तीन बच्चों का पेट पालने के लिए कंधे पर स्विगी का बैग लिए हर रोज 25 से 30 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करती है. क्विंट ने इस महिला से बात की जिसमें उसने अपनी पूरी कहानी बताई.
इस काम के बदले उसे 1500 रुपये मिलते हैं. उसके बाद दोपहर में वो अपने बैग में डिस्पोजेबल गिलास और कप बाजार की छोटी-छोटी दुकानों, ठेलों पर बेच कर फेरी का काम करती है. इसमें उसे प्रत्येक पैकेट पर 2 - 3 रुपए तक की बचत होती है और हर महीने 5 से 6 हजार तक का काम हो जाता है.
कंधे पर स्विगी का बैग लिए संघर्षों और चुनौतियों से भरा सफर तय करने वाली महिला रिजवाना लखनऊ चौक में जगत नारायण रोड पर बसी जनता नगरी कॉलोनी में रहती है. रिजवाना लगातार आर्थिक तंगी की मार झेलते हुए अपने बच्चों का जीवन संवारने में लगी है.
रिजवाना नम आंखों से कहती है अपने पति को खोज रही हैं, लेकिन उनका कुछ भी पता नहीं चला.
वायरल फोटो में रिजवाना स्विगी फूड डिलीवरी का बैग अपने कंधों पर ली हुई दिखती है. इस तस्वीर को देखने के बाद लोगों के मन में ये बात बैठ गई कि महिला स्विगी के लिए काम करती है, लेकिन रिजवाना ने इस बात को खारिज करते हुए कहा,
"डिस्पोजेबल ग्लास और कप रखने के लिए मुझे मजबूत बैग की जरूरत थी, डालीगंज पुल पर एक आदमी बैग 50 रुपए में बेच रहा था, मजबूती को देखते हुए मैंने इसे खरीद लिया. तब से इसी बैग में मैं अपना सामान रखकर बेचने जाती हूं. मैं स्विगी के लिए काम नहीं करती"
रिजवाना अपने चार बच्चों के साथ 10 बाई 10 के कमरे में रहती है. बड़ी बेटी का नाम लुबना है, जिसकी शादी दो साल पहले हो गई थी. वो अपने ससुराल में रहती है. इसके अलावा 19 साल की छोटी बेटी बुशरा, 7 साल की नशरा और 11 साल का बेटा यासीन है. रिजवाना कहती हैं कि जब मैं बाजार जाती हूं तो मुझे बच्चों की फिक्र लगी रहती है. छोटा बेटा थोड़ा नटखट है, बहुत शरारतें करता है, किसी तरह की कोई दुर्घटना न हो जाए बस यही सोचकर मन थोड़ा परेशान रहता है. काम के समय वो बाजार जाती है तो बेटी बुशरा छोटे भाई बहनों को संभालती है.
रिजवाना ने बताया कि जब वो बाजार गई तो "एक मोबाइल की दुकान वाले ने उन्हें फोटो दिखाई और कहने लगा कि आपकी तस्वीर खूब वायरल हो रही है. 500 से ज्यादा लाइक आए हैं", लेकिन मेरी परेशानियां उससे कम नहीं होगी. बेटी बुशरा ने कहा, "मुझे अपनी अम्मी पर गर्व है, वह दिन रात हमारे लिए मेहनत कर रही हैं, मैं भी उनकी तरह खूब मेहनत करूंगी".
रिजवाना की गरीबी का आलम ये कि घर में पानी का कनेक्शन तक नहीं है. सार्वजनिक नल से पानी भरकर लाने की जिम्मेदारी भी रिजवाना पर ही है. इसके लिए उन्हें घर के बाहर सार्वजनिक नल तक जाना पड़ता है.
इनपुट- अशहर असरार
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Published: 17 Jan 2023,12:10 PM IST