advertisement
तालिबान (Taliban) के फरमान ने सार्वजनिक जगह और मेलों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. जिसके बाद महिलाएं अपने हक के लिए फरमान के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं और कह रही हैं कि क्या हमें कुछ भी करने का अधिकार नहीं है. तालिबान ने रविवार 13 नवंबर को महिलाओं के जिम और पार्कों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की बात साफ की अधिकारियों का कहना है ये सब महिलाओं की नाफरमानी का नतीजा है. उप और सदाचार मंत्रालय (Ministry of Vice and Virtue) ने प्रतिबंध लगाने के फैसले में कुछ स्पष्टीकरण पेश किए हैं.
सदाचार मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद अकफ मोहजेर ने अल जजीरा से बात करते हुए कहा, कि तालिबान ने पिछले 15 महीनों में बहुत प्रयास किया कि इस फैसले को ना लेना पड़े पर फरमानों का पालन नहीं किया गया.
अफगानिस्तान पर तालिबान के अधिग्रहण के बाद से हमनें "अपनी पूरी कोशिश" की - अलगाव को लागू करने से बचा जाए और महिलाओं के पार्क और जिम में प्रवेश पर पाबंदी ना हो.
"लेकिन, दुर्भाग्य से, आदेशों का पालन नहीं किया गया और नियमों का उल्लंघन भी किया गया. इसकी वजह से हमें महिलाओं के लिए पार्क और जिम बंद करने पड़े."
मोहजेर ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि महिलाओं के लिए जिम बंद इसलिए कर दिए हैं क्योंकि उनके जिम में ज्यादातर ट्रेनर पुरुष होते हैं और कई जिम पुरुषों और महिलाओं के लिए सामान्य थे.
हम्माम या पारंपरिक पब्लिक स्नान घर, जिन्हें पारंपरिक रूप से लिंग से अलग किया गया है, उनको भी महिलाओं के लिए बंद कर दिया गया है.
तालिबान के एक अधिकारी ने कहा, "वर्तमान में, हर घर में एक बाथरूम है, इसलिए यह महिलाओं के लिए कोई समस्या नहीं होगी."
प्रतिबंधों ने अफगानिस्तान में महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वतंत्रता के बारे में चिंताओं को हवा दी है.
"आपने पढ़ने का हमारा अधिकार ले लिया है. हमें काम करने की अनुमति नहीं है. हम अब जिम में नहीं जा सकते. क्या हमें अब कुछ भी करने का अधिकार नहीं है? दुनिया हमारी बात क्यों नहीं सुन रही है? "
वीडियो में महिलाओं को अधिकारी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि यह जिम केवल महिलाओं के लिए है और वे हिजाब पहनकर व्यायाम करती हैं.
पार्कों में महिलाओं पर प्रतिबंध का असर बच्चों पर भी पड़ा है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा ट्वीट किए गए एक वीडियो में एक महिला ने साझा किया कि उनको और पोते और पोती को पार्क में नहीं जाने दिया गया.
"आज, मेरी पोती रो रही थी और मुझे उसे शहर के पार्क में ले जाने के लिए कह रही थी. जब हम यहां आए, तो उन्होंने हमें अंदर नहीं जाने दिया. मेरा पोता बहुत निराश है और अब हम घर वापस जा रहे हैं."
तालिबान के प्रतिबंधों के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए हेरात शहर की महिलाएं सड़कों पर उतरीं. प्रदर्शन के एक वीडियो में प्रदर्शनकारियों को तख्तियां पकड़े हुए और नारे लगाते हुए दिखाया गया है.
अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महिला विशेष प्रतिनिधि एलिसन डेविडियन ने भी प्रतिबंध की निंदा की है. "यह तालिबान द्वारा सार्वजनिक जीवन से महिलाओं के निरंतर और व्यवस्थित उन्मूलन का एक और उदाहरण है ... हम तालिबान से महिलाओं और लड़कियों के लिए सभी अधिकारों और स्वतंत्रता को बहाल करने का पुकार लगाते हैं,"
इनपुट एएफपी, अल जजीरा
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)