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पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) साधारण गोलीबारी में नहीं मारे गए थे, बल्कि तालिबान (Taliban) ने उनकी बेरहमी से हत्या की थी. लेखक माइकल रुबिन ने अमेरिकी पत्रिका वाशिंगटन एक्जामिनर में ये दावा किया है. स्थानीय अफगान अधिकारियों का कहना है कि सिद्दीकी ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की राष्ट्रीय सेना की टीम के साथ स्पिन बोल्डक क्षेत्र की यात्रा की थी, ताकि पाकिस्तान के साथ लगती सीमा को नियंत्रित करने के लिए अफगान बलों और तालिबान के बीच संघर्ष को कवर किया जा सके.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जब वो सीमा शुल्क चौकी के एक-तिहाई मील के भीतर पहुंच गए, तो तालिबान के हमले से टीम विभाजित हो गई और इस दौरान कमांडर और कुछ लोग सिद्दीकी से अलग हो गए.
दानिश सिद्दीकी को 18 जुलाई को जामिया मिलिया इस्लामिया के कब्रिस्तान में दफनाया गया. 16 जुलाई को सिद्दीकी की स्पिन बोल्डक में मौत हुई थी और उनका शव 18 जुलाई को दिल्ली पहुंचा था.
रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्दीकी जिंदा थे और तालिबान ने उन्हें पकड़ लिया था. तालिबान ने सिद्दीकी की पहचान की पुष्टि की और फिर उन्हें और उनके साथ के लोगों को भी मार डाला. रिपोर्ट में कहा गया है कि कमांडर और उनकी टीम के बाकी सदस्य उन्हें बचाने की कोशिश में मारे गए.
रुबिन ने कहा कि तालिबान की ओर से सिद्दीकी को शिकार बनाने, उन्हें मारने और फिर उनकी लाश को क्षत-विक्षत करने का निर्णय दिखाता है कि वो युद्ध के नियमों या वैश्विक समुदाय के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले कन्वेंशन का सम्मान नहीं करते हैं.
रिपोर्ट के सामने आने से पहले तालिबान दानिश सिद्दीकी की हत्या में हाथ होने से इनकार करता रहा है. सिद्दीकी की मौत पर तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने CNN-News18 से कहा था,
CNN-News18 को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में मुजाहिद ने कहा, "युद्ध क्षेत्र में प्रवेश करने वाले किसी भी पत्रकार को हमें खबर देनी चाहिए. हम उस पत्रकार की उचित देखभाल करेंगे." सिद्दीकी की मौत पर खेद व्यक्त करते हुए तालिबान के प्रवक्ता ने कहा, "हमें भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत के लिए खेद है."
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