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तमिलनाडु (Tamilnadu) के नामक्कल जिले के रासीपुरम के वेन्नंदूर गांव में 85 वर्षीय महिला "पापा", सभी उम्र के अपने विद्यार्थियों को तैराकी का हुनर सिखाती हैं. वो आसानी से किसी गहरे कुएं, नदी या झील में तैरने के लिए गोता लगा सकती हैं.
उनके इस कारनामे से यह साबित होता है कि उम्र सिर्फ संख्या का नाम होता है. पापा वेन्नंदूर गांव के थंगा सलाई में रहती हैं और अपने गांव में काफी पसंद की जाती हैं.
पिछले कई दिनों से उनके तैराकी के हुनर के चलते पूरे तमिलनाडु में उनका नाम सुर्खियों में है. लोगों को जब से यह पता चला है कि वो तैरना सिखाती हैं, उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है.
दिहाड़ी मजदूरी करने वाली पापा ने पांच साल की छोटी उम्र में ही अपने पिता से तैराकी सीखी थी. उन्होंने अपने पिता से जो हुनर सीखा था, उसकी वजह से मौजूदा वक्त में उन्हें एक उद्देश्य मिला है.
वह कहती हैं कि उनका मकसद अब ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को तैरने की कला सिखाना है.
उनका यह शौक कैसे उनके लिए एक उद्देश्य में बदल गया, इसके बारे में उन्होंने बताया...
उन्होंने बताया कि मैं पहले तैरने की कला को केवल एक शौक की तरह देखती थी. मेरी इस शौक को मेरे परिचितों और गांव वालों ने देखा और बाद में यह मेरी आदतों में शामिल हो गया. मैंने अपने बेटे, बेटी, पोते-पोतियों, परपोते के साथ पूरी फैमली को तैरना सिखाया. यह देखकर मेरे कई दोस्तों और गांव के अन्य लोगों ने यह हुनर सीखने के लिए मुझसे कॉन्टैक्ट किया.
तैराकी सिखाने वाली पापा ने आगे कहा कि मुझे तैरना अच्छा लगता है, इसको मैं नकार नहीं सकती. 85 सालों की उम्र में मेरे विद्यार्थी मेरा लक्ष्य बन गए हैं. मेरे पास तैराकी सीखने आने वाले विद्यार्थियों में 5 से लेकर 40 साल तक की उम्र वाल लोग हैं.
पापा के बेटे ने अपनी मां के बारे में बात करते हुए कहा कि ज्यादा उम्र और प्रतिकूल मौसम के बावजूद वह तैरने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं. मेरी अम्मा फ्रीस्टाइल, साइड स्ट्रोक, बैकस्ट्रोक और कई अन्य तरीकों से हर तरह की तैराकी कर सकती हैं. असलियत में वो सभी लोगों के लिए प्रेरणा की एक स्रोत हैं.
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