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वॉर रूम के 16 मुस्लिम स्टाफ में से 12 आज भी बेरोजगार, तेजस्वी के झूठ की सजा

BBMP COVID-19 वॉर रूम के 16 मुस्लिमों का दर्द बयां करती एक रिपोर्ट

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भारत
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बेंगलुरु दक्षिण से BJP सांसद तेजस्वी सूर्या
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बेंगलुरु दक्षिण से BJP सांसद तेजस्वी सूर्या
(फोटो: IANS)

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4 मई 2021 को 16 मुस्लिमों की जिंदगी उस वक्त बदल गई, जब बेंगलुरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्या (Tejasvi Surya) तीन विधायकों के साथ वृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के COVID-19 वॉर रूम में घुस गए और उन्होंने वहां काम करने वाले 205 लोगों में से 16 मुस्लिमों के नाम पढ़े.

सूर्या ने उसी दिन एक प्रेस मीट की और BBMP में कथित बेड बुकिंग घोटाले का 'खुलासा' किया. इसके बाद, कुछ ही घंटों में बेंगलुरु में सोशल मीडिया पर 16 मुस्लिम लोगों के नाम तैरने लगे, जिन्हें 'आतंकी' कहकर बेंगलुरु के लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया जाने लगा. इसका नतीजा यह हुआ कि इन लोगों की नौकरी भी चली गई.

6 दिन बाद जब तेजस्वी सूर्या से पूछा गया था कि उन्होंने 16 मुसलमानों की लिस्ट क्यों पढ़ी, तो उनके पास कोई साफ जवाब नहीं था.

मगर दो महीने से भी ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी मामले से जुड़े इन मुस्लिमों को BJP नेताओं की राजनीति का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. TNM ने इन सभी 16 लोगों से यह समझने के लिए बात की कि उनके लिए चीजें कैसे बदल गई हैं.

16 में से केवल एक को ही BBMP वॉर रूम में फिर से नौकरी मिली है, 3 को नई नौकरी मिल चुकी है, जबकि ज्यादातर अभी भी नौकरी की तलाश में हैं. इनमें से कई लोग सोशल मीडिया से दूर रहते हैं, कुछ अपने रिज्यूमे में वॉर रूम के काम के अनुभव का जिक्र करने से भी डरते हैं.

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'हमारा क्या कसूर था?'

A (सांकेतिक नाम) जून 2020 से BBMP कंट्रोल रूम में काम कर रहे थे. 4 मई 2021 को वह शाम 4 बजे अपनी शिफ्ट के लिए वॉर रूम में आए, लेकिन तब तक सोशल मीडिया पर 16 लोगों के नाम शेयर किए जाने लगे थे.

40 वर्षीय A ने बताया, ''मैं डर गया था, उस वक्त मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है. मैं अपनी शिफ्ट के बाद रात 11 बजे घर गया और मुझसे अगले दिन पुलिस के सामने पेश होने के लिए कहा गया. उन्होंने हमसे पूछताछ की और हमें जाने दिया. मैं कई दिनों तक सो नहीं सका. मैं सोचता रहा कि मुझे क्यों निशाना बनाया जा रहा है.''

जब कुछ दिनों के अंदर यह साफ हो गया कि इन लोगों का कथित बेड घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है, तो A ने क्रिस्टल इन्फोसिस्टम्स एंड सर्विसेज से संपर्क किया, जिस कंपनी को BBMP ने साउथ वॉर रूम के लिए कर्मियों को नियुक्त करने के वास्ते अनुबंधित किया था. A ने कहा, "मैं शादीशुदा हूं और मेरे बच्चे हैं. मेरा परिवार फुटपाथ पर आ जाता. मैंने उनसे मेरी नौकरी वापस देने की भीख मांगी, और उन्होंने इसे वापस दे दिया.”

हालांकि A की सैलरी कम कर दी गई. इसे लेकर उन्होंने कहा, "इससे मुझे ज्यादा दुख नहीं हुआ. हम सबके साथ जो हुआ, मुझे उससे दुख हुआ. हमारा क्या कसूर था?”

'अब दूसरी नौकरी भी नहीं मिल रही'

युवा B ने जून 2020 में वॉर रूम कॉल सेंटर को ज्वाइन किया था. उसे काम करते हुए 4 महीने ही हुए थे, उसी दौरान कई लोगों को वर्कलोड कम होने की वजह से नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया. इसके बाद वह अप्रैल 2021 में दोबारा नौकरी पर आया और फिर मुश्किल से 10 दिन ही हुए थे कि मामले में तेजस्वी की एंट्री हो गई.

23 साल के B के पास अपने छोटे भाई और मां की देखभाल करने की भी जिम्मेदारी है. ऐसे में उसके लिए BBMP से मिलने वाली 13000 रुपये की सैलरी ही बड़ी राहत थी.

उसने बताया, ''मेरे अंकल सालों से हमारा भरण-पोषण कर रहे थे और मैंने सोचा कि अगर मैं कमाता हूं तो यह परिवार के लिए बहुत बड़ी राहत होगी. मैं बहुत गलत था. मैंने वहां नौकरी खो दी और अब मुझे दूसरी नौकरी नहीं मिल पा रही है.''

B ने अपने रिज्यूमे में वॉर रूम के काम के अनुभव का जिक्र करते हुए दो कॉल सेंटरों में नौकरी पाने की कोशिश की, हालांकि 'इसके चलते' उसे नौकरी नहीं मिली. B ने बताया, “जब उन्होंने यह देखा, तो उन्होंने मुझसे विवरण मांगा. मुझे लगता है कि इसलिए मुझे काम नहीं मिला; शायद अगली बार मैं इसका जिक्र नहीं करूंगा. मुझे नौकरी की जरूरत है और मैं अपना अनुभव छिपाऊंगा.”

'मुस्लिम होने की वजह से बनाया गया निशाना'

21 वर्षीय C का दावा है कि BJP नेताओं के वॉर रूम में आने से पहले ही BBMP पर मुस्लिमों को हटाने का दबाव था.

उसने बताया, ''मैं अपने दोस्त के साथ लंच कर रहा था तभी मैनेजर दौड़ते हुए आया और हम दोनों को जाने के लिए कहा. जब हमने पूछा क्यों, तो उसने बताया कि बीजेपी के एक विधायक ने उन लोगों की लिस्ट दी है जिन्हें वे नहीं चाहते. हम तुरंत वहां से नहीं गए. कुछ वक्त के अंदर, हमने तेजस्वी को लिस्ट पढ़ते हुए सुना. हम बहुत डरे हुए थे और घर चले गए, अगले दिन हमें बताया गया कि नाइट शिफ्ट वालों को थाने ले जाया गया.''

वहीं, मामले से संबंधित 25 साल के H का कहना है, ''सैलरी सिर्फ 13500 रुपये थी, लेकिन मुझे लगा कि यह ठीक है, मैं लोगों की मदद कर सकता हूं. उस दिन के बाद, उन्होंने मुझे सिर्फ 2900 रुपये दिए और जाने के लिए कहा. मैं एक नई नौकरी के लिए कोशिश कर रहा हूं, लेकिन कोई काम नहीं मिला. हमें सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि हम मुसलमान थे.''

16 लोगों में शामिल 22 वर्षीय K भी नौकरी की तलाश में है. उसका कहना है, ''आतंकवादी नाम मुझसे चिपक कर रह गया है. अगर मैं कहूं कि मैं BBMP वॉर रूम में था तो कोई मुझे नौकरी नहीं देगा.''

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Published: 13 Jul 2021,09:08 PM IST

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