advertisement
बुधवार, 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ईडी द्वारा दायर किए मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में 'द क्विंट' के फाउंडर राघव बहल (Raghav Bahl) को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने नोटिस में राघव बहल के खिलाफ कोई भी कठोर कदम न उठाए जाने का निर्देश भी दिया है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच उस आदेश के खिलाफ राघव बहल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने राघव बहल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस रद्द करने की मांग वाली याचिका में प्रोटेक्शन से संबंधित कोई भी फैसला देने से इनकार कर दिया था.
इस सुनवाई में राघव बहल की तरफ से पेश हुए वकील विकास सिंह ने कहा कि इस मामले में उन्होंने पहले ही इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर दिया है, लेकिन हाईकोर्ट द्वारा उन्हें कोई संरक्षण नहीं दिया गया है.
पिछले दिनों 3 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राघव बहल द्वारा दायर याचिका पर ईडी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया था, जिसमें इंक्वायरी अधिकारी द्वारा राघव बहल को जारी किए गए तीनों नोटिसों को चुनौती दी गई थी.
राघव बहल के खिलाफ ईडी से जुड़ा ये मामला इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की शिकायत के बाद सामने आया है, जिसमें उनपर लंदन में एक प्रॉपर्टी खरीदने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है.
आयकर विभाग ने वर्ष 2018-19 के लिए दाखिल किए गए रिटर्न में कथित अनियमितताओं को लेकर ब्लैक मनी और कर अधिनियम-2015 के तहत उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की थी.
याचिका में दावा किया गया है कि राघव बहल ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम-2002 के तहत जांच की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए 'कोई गलत काम नहीं' किया है.
राघव बहल कई बार अपने खिलाफ लगाए गए आरापों से इनकार कर चुके हैं. दिल्ली हाई कोर्ट में उनके वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए राघव बहल के द्वारा दोबारा फाइल की गई इनकम टैक्स रिटर्न को अधिकारी कबूल कर चुके हैं. इसलिए उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस नहीं चल सकता है.
राघव बहल ने 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को खत भी लिखा था. उस खत में उन्होंने लिखा था कि ऐसा महसूस हो रहा है कि सही तरीके टैक्स चुकाने के बाद भी बिना किसी गलती के उन्हें परेशान किया जा रहा है. उन्होंने लंदन की प्रॉपर्टी में निवेश को स्वेच्छा से डिस्क्लोज किया था.
वित्त मंत्री को लिख खत में उन्होंने कहा था, '' मैं उम्मीद करता हूं कि स्वेच्छा से जो जानकारी मैं नीचे दे रहा हूं, वो वित्त मंत्रालय और उसके विभागों को अपनी गलती सुधारने का अवसर देगा.''
राघव बहल कई बार अपने खिलाफ लगाए गए आरापों से इनकार कर चुके हैं. दिल्ली हाई कोर्ट में उनके वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए राघव बहल के द्वारा दोबारा फाइल की गई इनकम टैक्स रिटर्न को अधिकारी कबूल कर चुके हैं. इसलिए उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस नहीं चल सकता है.
राघव बहल ने 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को खत भी लिखा था. उस खत में उन्होंने लिखा था कि ऐसा महसूस हो रहा है कि सही तरीके टैक्स चुकाने के बाद भी बिना किसी गलती के उन्हें परेशान किया जा रहा है. उन्होंने लंदन की प्रॉपर्टी में निवेश को स्वेच्छा से डिस्क्लोज किया था.
इनमक टैक्स अधिकारियों ने अक्टूबर 2018 में राघव बहल के Quintillion Media Pvt Ltd जो कि 'द क्विंट' वेबसाइट चलाती है, उसके ऑफिस पर छापा मारा था. इनकम टैक्स की टीम को लीड कर रहे अधिकारी के अनुसार ऑफिस के एक फ्लोर पर वो सर्च चला रहे थे, जबकि दूसरे पर सर्वे.
द क्विंट के एडिटर इन चीफ राघव बहल और सीईओ रीतू कपूर के आवास पर भी इनकम टैक्स की टीम पहुंची थी, इसके अलावा इसी कॉर्पोरेट ग्रुप की दूसरी कंपनी क्विंटाइप के ऑफिस पर भी इनकम टैक्स की टीम पहुंची थी.
इसके अलावा 'द न्यूज मिनट' के ऑफिस पर भी इनकम टैक्स अधिकारियों ने सर्वे किया था. आपको बता दें कि 'द न्यूज मिनट' में भी क्विंटिलियन मीडिया की हिस्सेदारी है.
कंपनी के नोएडा ऑफिस में अधिकारियों ने 22 घंटे तक सर्च ऑपरेशन चलाया था. इस कार्रवाई की एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, पत्रकारों और नेताओं ने निंदा की थी और इसे अघोषित इमर्जेंसी करार दिया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)