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भारतीय हॉकी टीम के विवेक सागर को मध्य प्रदेश सरकार ने DSP बनाया

Vivek Sagar को राज्य सरकार ने 1 करोड़ रुपये की सम्मान राशि दी है

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>Vivek Sagar को राज्य सरकार ने 1 करोड़ रुपये की सम्मान राशि दी है</p></div>
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Vivek Sagar को राज्य सरकार ने 1 करोड़ रुपये की सम्मान राशि दी है

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के रहने वाले भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team) के खिलाड़ी विवेक सागर (Vivek Sagar) का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्मान किया है. विवेक सागर को राज्य सरकार ने 1 करोड़ रुपये की सम्मान राशि दी है. साथ ही विवेक को डीएसपी बनाया गया है.

सम्मान समारोह भोपाल के मिंटो हॉल में हुआ था. इसमें सीएम शिवराज के अलावा विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मंत्री यशोधरा सिंधिया, ऊषा ठाकुर, बिसहलाल साहू, प्रभुराम चौधरी जैसे लोग शामिल रहे.

वहीं, टोक्यो ओलंपिक्स में हिस्सा लेने वाले मध्य प्रदेश के ऐश्वर्य प्रताप सिंह को 10 लाख की राशि के साथ सम्मानित किया गया है. स्पोर्ट्स शूटर सिंह राज्य के खरगोन के रहने वाले हैं.

राज्य की प्राची यादव टोक्यो पैरालंपिक्स में भारत के दल में शामिल रहेंगी. समारोह में उन्हें भी सम्मानित किया गया. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महिला हॉकी टीम की हर खिलाड़ी को राज्य सरकार 31 लाख रुपये देगी.
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खिलाड़ियों के अलावा विवेक सागर के कोच अशोक ध्यानचंद को भी सम्मानित किया गया. हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक चार विश्वकप खेल चुके हैं. विवेक के मुख्य सहायक कोच शिवेंद्र सिंह को भी सम्मानित किया गया है.

विवेक की इच्छा थी कि वो अपनी मां के लिए घर बनवाएं. अब विवेक की मां जहां कहेंगी, वहां मध्य प्रदेश सरकार उनको घर बनाकर देगी.

पिता को पसंद नहीं था विवेक का हॉकी खेलना

अशोक ध्यानचंद ने ही विवेक सागर की प्रतिभा खोजी और उसे तराशा था. अशोक ध्यानचंद ने विवेक को अपने घर में हॉकी खेलना सिखाया. अशोक ने बताया था कि अकैडमी ज्वाइन करने में लगभग 3 से 4 महीने का समय रहता है, इस दौरान काफी सारी फॉर्मेलिटी पूरी करनी होती हैं इसलिए विवेक 3 से 4 महीने तक उनके घर पर ही रहा था.

हालांकि, पेशे से शिक्षक पिता को विवेक का हॉकी खेलना पसंद नहीं था, जब विवेक ने हॉकी की शुरुआत की तब उसके शौक से उसके पिताजी काफी नाराज थे. विवेक का एक भाई एक और एक बहन भी है. विवेक के पिता अक्सर उससे कहा करते थे कि टीचर का बेटा हॉकी खेल रहा है. वहीं विवेक के इस शौक में उनकी मां उनकी काफी मदद करती थी जब विवेक हॉकी खेलने जाता थे ,तो मां से पिता के पूछने पर वह से बोलती थी कि मैंने उसे काम से इटारसी भेजा है, हालांकि जब बाद में विवेक ने बड़े लेवल पर खेलना शुरू किया तो उसके पिताजी उसके खेल से खुश हो गए.

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