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Olympics| कभी टूटी हॉकी से खेलते थे अर्जेंटीना के खिलाफ गोल दागने वाले विवेक

मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने हुनर देखकर कोचिंग के लिए बुलाया था भोपाल

क्विंट हिंदी
स्पोर्ट्स
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<div class="paragraphs"><p>Tokyo Olympics: अर्जेंटीना के खिलाफ गोल दागने वाले विवेक</p></div>
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Tokyo Olympics: अर्जेंटीना के खिलाफ गोल दागने वाले विवेक

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत ने हॉकी (पुरुष) मैच में अर्जेंटीना को 3-1 से हरा दिया. इसी मैच में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के रहने वाले विवेक सागर भी खेल रहे थे, जिन्होंने अपनी टीम के लिए एक शानदार गोल दागकर अपने प्रदेश का नाम रोशन किया. हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने उन्हें काफी मदद की. आज विवेक खुद खिलाड़ियों की मदद करते हैं.

विवेक का पूरा नाम विवेक सागर प्रसाद है, उनका जन्म 25 फरवरी साल 2000 में हुआ था. यानी वो अभी सिर्फ 21 साल के हैं. विवेक होशंगाबाद की इटारसी तहसील के शिवनगर चांदोल गांव का रहने वाले हैं, वो मिडफील्डर की पोजीशन पर खेलते हैं.

पिता को पसंद नहीं था विवेक का हॉकी खेलना

विवेक के पिता पेशे से शिक्षक हैं और उनको विवेक का हॉकी खेलना पसंद नहीं था, जब विवेक ने हॉकी की शुरुआत की तब उसके शौक से उसके पिताजी काफी नाराज थे. विवेक का एक भाई एक और एक बहन भी है. विवेक के पिता अक्सर उससे कहा करते थे कि टीचर का बेटा हॉकी खेल रहा है. वहीं विवेक के इस शौक में उनकी मां उनकी काफी मदद करती थी जब विवेक हॉकी खेलने जाता थे ,तो मां से पिता के पूछने पर वह से बोलती थी कि मैंने उसे काम से इटारसी भेजा है, हालांकि जब बाद में विवेक ने बड़े लेवल पर खेलना शुरू किया तो उसके पिताजी उसके खेल से खुश हो गए.

टूटी हॉकी से शुरू किया खेलना, अब खिलाड़ियों को बांटते हैं हॉकी

विवेक की उपलब्धि से उसका पूरा परिवार खुश है और चाहता है कि अब हमारे देश की टीम ओलंपिक में गोल्ड मेडल लेकर आए. विवेक के बड़े भाई और पेशे से पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर विद्यासागर ने बताया कि,

"विवेक ने जब हॉकी खेलना शुरू किया था तो उस समय सुविधाओं का अभाव था. पैसे की कमी थी, उसके पास हॉकी भी नहीं थी उसने अपने दोस्तों से हॉकी मांगी और उससे खेलना शुरू किया, जबकि वो हॉकी टूटी हुई थी. अब जब वो अच्छे मुकाम पर पहुंच गया है और उसे एक कंपनी स्पॉन्सर कर रही है तो वो स्पॉन्सरशिप के बदले में उस कंपनी से पैसे नहीं लेता बल्कि हॉकी ही लेता है और वो हॉकी वो अपने गांव अपने तहसील और अपने जिले के उन खिलाड़ियों को देता है जो कि पैसों के अभाव में हॉकी नहीं खरीद सकते."

कोच ने लोकल मैच के दौरान ही देख लिया था हुनर

विवेक की इन तमाम उपलब्धियों पर मेजर ध्यानचंद के बेटे एमपी एकेडमी के पूर्व चीफ कोच और पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अशोक कुमार ध्यानचंद का कहना है कि,

"लगभग 6 साल पहले मैंने विवेक को बहुत कम उम्र में महाराष्ट्र के अकोला में एक ऑल इंडिया टूर्नामेंट के फाइनल मैच में खेलते हुए देखा था. उस समय ये टीकमगढ़ की टीम से खेल रहा था इस टूर्नामेंट में बाकी सभी बड़े उम्र के खिलाड़ी खेल रहे थे, यही सबसे कम उम्र का था. मैं उस टूर्नामेंट में चीफ गेस्ट बनकर गया था. विवेक का खेल देखकर मैं काफी खुश हुआ मैच खत्म होने के बाद मैंने इस बच्चे को बुलाया उसका नाम पता पूछा, उसको शाबाशी दी और इसको एमपी अकैडमी जॉइन करने का ऑफर दिया. मेरे ऑफर को उसने स्वीकार किया और वो भोपाल आ गया."

मेजर ध्यानचंद के बेटे एमपी एकेडमी के पूर्व चीफ कोच अशोक कुमार ध्यानचंद के साथ विवेक

(फोटो: क्विंट द्वारा प्राप्त)

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उन्होंने आगे बताया कि, अकैडमी ज्वाइन करने में लगभग 3 से 4 महीने का समय रहता है, इस दौरान काफी सारी फॉर्मेलिटी पूरी करनी होती हैं इसलिए वो 3 से 4 महीने तक मेरे घर पर ही रहा. मैंने उसे अपने बेटे की तरह रखा और कोचिंग से पहले की इनिशियल जानकारियां और ट्रेनिंग दी. अकैडमी ज्वाइन करने के बाद मैंने उसे अपने लेवल की हार्ड ट्रेनिंग दी. अकैडमी में ट्रेनिंग के दौरान जब भी उसे कोई चीज कोई बात बताई जाती थी या किसी कमी कमजोरी के लिए उसको सुधार के लिए कहा जाता तो वो उस पर बखूबी अमल करता था. वह गलती को दोबारा नहीं दोहराता था.

कोच ध्यानचंद ने कहा कि, एमपी एकेडमी का सौभाग्य है कि एमपी एकेडमी से 2 छात्र इंडिया टीम से ओलंपिक खेल रहे हैं, जिनमें एक विवेक है वहीं दूसरा नीलाकान्त शर्मा है. अशोक ध्यानचंद चाहते हैं कि हमारे देश की टीम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते और उसमें विवेक की अहम भूमिका रहे, क्योंकि विवेक बहुत मेहनत और कठिन परिश्रम के बाद वहां तक पहुंचा है.

विवेक सागर का अब तक शानदार प्रदर्शन

विवेक सागर ने साल 2018 में फोर नेशंस टूर्नामेंट, कॉमनवेल्थ गेम्स, चैम्पियन ट्रॉफी, यूथ ओलंपिक, न्यूजीलैंड टेस्ट सीरीज, एशियन गेम्स और साल 2019 में अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट, ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज और फाइनल सीरीज भुवनेश्वर जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया. विवेक सागर को यूथ ओलम्पिक में बेस्ट स्कोरर और फाइनल सीरीज भुवनेश्वर में बेस्ट जूनियर प्लेयर के अवॉर्ड से भी नवाजा गया. एशियाड 2018 में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाले भारतीय टीम में शामिल मिडफील्डर विवेक 62 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं, जिन्हे साल 2018 में मध्य प्रदेश शासन ने एकलव्य अवार्ड से सम्मानित किया.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दी शुभकामनाएं

विवेक के इस अहम गोल पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी काफी खुश हैं. उन्होंने अपनी खुशी का इजहार ट्वीट कर किया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विवेक का वीडियो शेयर किया जिसमें वो गोल मारते हुए दिखाई दे रहे हैं, सीएम ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा,

"#TokyoOlympics2020 के हॉकी मैच में मध्य प्रदेश के बेटे विवेक सागर ने अर्जेंटीना के विरुद्ध गोल मारकर 3-1 से भारत की जीत सुनिश्चित की. विवेक सागर और हॉकी इंडिया को बधाई! अब क्वार्टर फाइनल में भी शानदार विजय दर्ज करे, यह विजय रथ अविराम चलता रहे, यही शुभकामनाएं!"

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Published: 29 Jul 2021,06:26 PM IST

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