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देशभर में टमाटर (Tomato Price Rise) के दाम अचानक से बढ़ गए हैं. बीते दिनों 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रहा टमाटर एकाएक 100 से 120 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुका है. दिल्ली, यूपी, बिहार, ओडिशा से लेकर कई राज्यों में टमाटर के दामों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इसको लेकर सियासत भी गरमाई हुई है. कांग्रेस महंगाई के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने में जुटी है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि टमाटर के दामों में अचानक इतनी बढ़ोतरी कैसे हुई? इसके पीछे क्या वजह है?
भारत में टमाटर की दो प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं. रबी की फसल, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र के जुन्नार तालुका, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में उगाई जाती है. ये मार्च और अगस्त के बीच बाजार में आती है. अगस्त के बाद बाजार में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के नासिक और देश के अन्य हिस्सों में खरीफ फसल की आपूर्ति होती है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में टमाटर का उत्पादन पिछले वर्ष के 20.69 मिलियन टन से थोड़ा गिरकर 20.62 मिलियन टन होने का अनुमान है.
सबसे पहले बात दिल्ली की करते हैं. राजधानी में भी टमाटर के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजीपुर मंडी में बुधवार, 28 जून को टमाटर 90-100 रुपए किलो के हिसाब से मिल रहे हैं. हालांकि, उपभोक्ता मामले मंत्रालय के मूल्य निगरानी प्रभाग के मुताबिक, मंगलवार, 27 जून को दिल्ली में टमाटर का भाव 60 रुपये प्रति किलो था.
समाचार एजेंसी से बातचीत में एक विक्रेता ने बताया कि
ऐसा ही हाल उत्तर प्रदेश का भी है. यहां तो दाम 120 रुपए को पार कर गए हैं. उपभोक्ता मामले मंत्रालय के मूल्य निगरानी प्रभाग के मुताबिक, मंगलवार, 27 जून को गोरखपुर में टमाटर के दाम 122 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए. वहीं लखीमपुर खीरी में 102 रुपये, प्रतापगढ़ में 97 रुपये, इटावा में 99 रुपये प्रति किलो रहा.
बिहार में भी टमाटर के दामों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पटना में टमाटर की कीमत 100 रुपए प्रति किलो हो गई है. हालांकि, उपभोक्ता मामले मंत्रालय के मूल्य निगरानी प्रभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो मंगलवार, 27 जून को पटना में टमाटर का भाव 28 रुपये प्रति किलो रहा.
टमाटर के दामों में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह बारिश बताई जा रही है. भारी बारिश की वजह से फसलों को नुकसान हुआ है, जिससे दामों में बढ़ोतरी हुई है. कई राज्यों में हुई मॉनसून की बारिश की वजह से अन्य सब्जियों के दाम भी बढ़े हैं. समाचार एजेंसी से बातचीत में पटना के एक विक्रेता मोहम्मद फहीम ने बताया,
कानपुर के एक सब्जी विक्रेता ने बताया, "हम 100 रुपए किलो बेच रहे हैं. यह टमाटर बाहर का है इसलिए इतना महंगा बिक रहा. यहां (भारत) का टमाटर खत्म हो चुका है."
क्विंट हिंदी से बातचीत में बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स विभाग के हेड बीके झा कहते हैं कि,
इसके साथ ही वो कहते हैं कि, "डिमांड-सप्लाई चेन को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर हमें टेक्नोलॉजी लानी होगी, इन्वेस्टमेंट पर्सपेक्टिव इसमें डालना होगा. इसमें SPO और STO का फेडरेशन बहुत बड़ा रोल प्ले कर सकता है." वो आगे कहते हैं कीमतों को काबू में करने के लिए दो महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए:
"पहला: जब प्रोडक्शन ज्यादा हो तो हमें प्रोसेसिंग पर जोर देना होगा. मार्केटिंग को एक्सपेंड करना होगा. इसको लेकर प्लानिंग करने की जरूरत है."
"दूसरा: STO फेडरेशन के माध्यम से हमारा सीड कितना बिका, कौन सी वेरायटी का सीड है, किस समय में इसका प्रोडक्शन होगा. यह प्रोडक्शन प्लानिंग करनी होगी."
टमाटर की बढ़ी किमतों को लेकर सियासत भी गर्म है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, "तथाकथित अमृत काल में महंगाई की मार से लोग परेशान हैं. हर चीज की कीमत बढ़ती जा रही है. लोगों को घर चलाना मुश्किल हो रहा है. क्या हर समय अपनी छवि चमकाने में व्यस्त रहने वाले प्रधानमंत्री, महंगाई को नियंत्रित करने पर भी ध्यान देंगे?"
महिला कांग्रेस प्रमुख नेट्टा डिसूजा ने ट्वीट किया, "ये कौन सी स्कीम है मोदी जी, जिसमें किसानों को टमाटर 1 रुपये प्रति किलो बेचने पर मजबूर किया जाता है. लेकिन वही टमाटर जब आम जनता तक पहुंचता है तो 100+ रुपये प्रति किलो के भाव को पार कर जाता है."
NDTV से बातचीत में केंद्रीय उपभोक्ता मामले के सचिव रोहित कुमार सिंह ने उम्मीद जताई है कि अगले दो हफ्ते में टमाटर के दाम कम हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि "मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि अगले कुछ दिनों में कीमतें कम होने वाली हैं. दिल्ली में सोलन और हिमाचल प्रदेश के अन्य केंद्रों से ताजा आपूर्ति की उम्मीद है, जिससे कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि,
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट खराब मौसम और आपूर्ति बाधाओं के दोहरे प्रभाव के कारण है. मॉनसून के कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश हो रही है, जिससे फसल प्रभावित हुई है और इसकी आपूर्ति भी सीमित हो गई है.
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Published: 28 Jun 2023,04:05 PM IST