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टमाटर आपको 20 रुपए किलो मिल रहा होगा, लेकिन मंडियों में किसानों का टमाटर एक रुपए में चार किलो बिक रहा है. मतलब 20 रुपए में अस्सी किलो टमाटर आ जाएगा.
रिटेल में टमाटर के दाम भले ही सुर्ख हैं, लेकिन मंडियों में इसकी लाली उड़ी हुई है. किसानों की हालत ये है कि मजबूरी में उन्हें जो भाव मिले, उसी पर फसल ठिकाने लगानी पड़ रही है.
टमाटर के किसानों का हाल कितना बुरा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गोशालाएं मुफ्त में भी टमाटर लेने को तैयार नहीं, क्योंकि वहां पहले ही दान के टमाटर के अंबार लगे हुए हैं.
हरियाणा में किसान टमाटर को लेकर सड़कों पर भी उतरे थे, क्योंकि भाव 1 रुपये किलो से भी नीचे चले गए थे.
लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा में 30 अप्रैल की शाम को मंडी में नीलामी के दौरान टमाटर 6 रुपये प्रति क्रेट के हिसाब से बिका. यानी लगभग 24 पैसे किलो. एक क्रेट में 25 किलो टमाटर आता है. उसी शाम, दिल्ली के सब्जी मार्केट में लोगों ने 15-20 रुपये किलो टमाटर खरीदा.
हरियाणा सरकार ने किसानों को राहत की कोशिश में भावांतर भरपाई योजना भी लागू की थी, पर लगता है इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ. योजना के तहत आलू, गोभी, प्याज और टमाटर के मामले में, यानी प्रति क्विंटल निर्धारित किए गए रेट से जितने भी दाम कम मिलेंगे, उस घाटे की भरपाई सरकार करेगी.
लेकिन इसके लिए किसान को अपनी जमीन के दस्तावेज के साथ पंजीकरण कराना होगा. बिक्री के दौरान मंडी आढ़ती से जे-फॉर्म लेने जैसी औपचारिकता पूरी करने में लंबा वक्त लगता है.
हरियाणा ही नहीं, मध्य प्रदेश में भी टमाटर किसानों का बुरा हाल है. अप्रैल महीने से कीमतें औंधे मुंह गिरी हुई हैं. किसानों की लागत ही नहीं निकल रही है, इसलिए वो टमाटर को मंडी में ले जाने की बजाए खुले में ही फेंक रहे हैं. 13 अप्रैल को मध्य प्रदेश के सिहाेर जिले के किसानों ने टमाटर फेंक अपना विरोध जताया था.
मध्य प्रदेश टमाटर के शीर्ष उत्पादक राज्यों में से है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी इसकी बंपर पैदावार होती है.
तमिलनाडु में फल और सब्जियों के सबसे बड़े थोक बाजार कोयेम्बडू में टमाटर का औसत भाव कुछ दिन पहले तक 10 रुपये किलो था, पर अब दाम गिरकर 2 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं. उत्तर प्रदेश में भी टमाटर किसानों का बुरा हाल है, जहां कई मंडियों में दाम 1 रुपए किलो से भी कम हो गए हैं.
जानकारों के मुताबिक, किसानों ने पिछले साल के भाव के हिसाब से टमाटर की बुआई की, पर इस बार उन्हें फायदा मिलने की बजाए नुकसान हो रहा है.
इन सबके बावजूद, सबसे बुरी स्थिति ये है कि रिटेल में लोगों को टमाटर 15 से 20 रुपए किलो ही मिल रहा है, जबकि किसानों को भाव 25 पैसे किलो मिल रहा है, यानी मलाई की कमाई बिचौलिए ही उड़ा रहे हैं.
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