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UP: "नाच गा कर किया परिवार का पालन-पोषण",कौन हैं नगर पालिका चेयरमैन सोनू किन्नर?

Deendayal Upadhyay Municipal Council चेयरमैन सोनू किन्नर का जीवन संघर्ष से भरा है. उनका बचपन बेहद गरीबी में गुजरा है

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<div class="paragraphs"><p>सोनू किन्नर बनी नगर पालिका चेयरमैन</p></div>
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सोनू किन्नर बनी नगर पालिका चेयरमैन

फोटो-access by quint hindi

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उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बड़ी जीत हासिल की है. लेकिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई है. सोनू किन्नर ने सभी प्रत्याशियों को पटखनी देते हुए जीत हासिल की और यहां की पहली किन्नर अध्यक्ष बन गई.

चुनाव में जीत से सोनू काफी खुश हैं और उन्होंने जनता को वाटर टैक्स आधा और हाउस टैक्स पूरा माफ कराने का रिटर्न गिफ्ट देने की तमन्ना जताई है.

चेयरमैन सोनू किन्नर का जीवन संघर्ष से भरा है. उनका बचपन बेहद गरीबी में गुजरा था. पिता के मौत के बाद सोनू किन्नर ने नाच गा कर परिवार का पालन पोषण किया. अब चेयरमैन बनने के बाद दिन बदलने के आसार हैं.

नगर के लोगों से नाच गाकर अब तक कमाया है. विकास के रूप में उसे अब वापस करने का समय आ गया है.
सोनू किन्नर, अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद

संघर्षों से गुजरा सोनू किन्नर का बचपन

पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर के कालीमहल निवासी माता श्यामा देवी और पिता रमनदत्त की बेटी सोनू का बचपन सामान्य रहा. घर में गरीबी थी. बचपन में ही पिता की मौत के बाद घर में कोई कमाने वाला भी नहीं था. चंद पैसों के लिए नाचने- गाने की मजबूरी बाद में सोनू का शौक बन गया.

सोनू को 10 वर्ष की उम्र में पता चला कि वह सामान्य लड़की नहीं बल्कि किन्नर हैं. यह किसी सदमे से कम नहीं था.

इसके बाद वह गुलाब गुरू की शरण में पहुंचीं और मंडली में नाचने गाने का सिलसिला शुरू किया. उसमें उनके परिजनों ने भी साथ दिया.

सोनू के स्वभाव से नगर के किन्नरों में उनकी अलग पहचान थी. कहीं बधाई और खुशी के मौके पर सोनू अन्य किन्नरों की तरह जिद नहीं करती थी. बल्कि लोग जो देते वह स्वीकार कर आशीर्वाद देकर चली जाती थी. नेग लेनदेन में कहीं भी अगर किन्नर और लोगों में विवाद होता तो सोनू को सुलझाने के लिए बुलाया जाता था.

सोनू ने क्यों लड़ा चुनाव?

सोनू की बात सभी किन्नर मान जाते थे. सोनू ने शहर की खराब स्थिति को देखते हुए चुनाव लड़ने को सोचा. लोगों का साथ मिला और वह चुनाव जीत गई.

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प्रदेश में तीसरी महिला किन्नर बनी चेयरमैन

चंदौली में एक नगर पालिका परिषद पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर से निर्दलीय प्रत्याशी सोनू किन्नर प्रदेश में तीसरी किन्नर हैं. जिन्होंने चेयरमैन की कुर्सी संभाली है. इससे पहले 2001 में गोरखपुर से आशा देवी महापौर बनी थीं.

2006 में मिर्जापुर के अहरौरा नगर पालिका से रेखा चेयरमैन बनी थीं. किन्नरों को समाज में काफी उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता था. लेकिन धीरे-धीरे समाज की सोच बदली और लोगों ने किन्नरों को अपना प्रतिनिधि भी बनाना शुरू कर दिया है.

नगर पालिका परिषद पीडीडीयू नगर में जीत दर्ज कर सोनू किन्नर ने जिले में ही नहीं बल्कि प्रदेश में इतिहास रचा है. सोनू की जीत ने लोकतंत्र की ताकत दिखा दी. सोनू से पहले 2001 के निकाय चुनाव में गोरखपुर में किन्नर आशा देवी ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया था कि बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमा देखते रह गए थे.

गोरखपुर के नरसिंहपुर इलाके के एक छोटे से मकान में रहने वाली किन्नर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी का घर-घर गुजर-बसर होता था.

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