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उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के मुखिया जयंत चौधरी ने साफ किया कि समाजवादी पार्टी के साथ इन चुनाव में गठबंधन नहीं था. आरएलडी और सपा ने 2022 में विधानसभा चुनाव साथ में लड़ा था और इसका फायदा नतीजों में देखने को मिला था. इस गठबंधन में चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (एएसपी) का भी साथ मिल गया था और कयास लगाए जा रहे थे कि तीनों नेता मिलकर चुनाव लड़ेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान जयंत चौधरी ने बताया कि चुनाव से पहले गठबंधन की कोशिश जरूर हुई लेकिन कार्यकर्ताओं की महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए यह प्रयोग सफल नहीं हो पाया.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी सूत्रों की माने तो आरएलडी और चंद्रशेखर की एएसपी के साथ गठबंधन का प्रयास अंत समय तक हुआ था लेकिन सीट के बटवारे को लेकर बात नहीं बन पाई जिसके बाद अलग-अलग चुनाव लड़ने का निर्णय लिया.
उत्तर प्रदेश में कई ऐसी सीटें थी जहां पर सपा और आरएलडी दोनों पार्टियों ने अपने प्रत्याशी खड़ा किए थे. राजनीतिक गलियारों में कयास लगाये जाने लगे थे कि गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
मीडिया रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि चुनाव प्रचार के दौरान दोनों नेता किसी मंच पर साथ दिखाई नहीं दिए. इस पर जवाब देते हुए जयंत चौधरी ने कहा, "हम दोनों एक साथ कैसे देखे जाते अगर हम दोनों साथ चुनाव नहीं लड़ रहे हैं."
निकाय चुनाव के दौरान दोनों पार्टियों में आई दूरी से आने वाले महत्वपूर्ण 2024 लोक सभा चुनाव को लेकर गठबंधन के खत्म होने कयास लगने शुरू हो गए थे. जयंत चौधरी ने हालांकि साफ किया कि आगे आने वाले चुनाव में दोनों पार्टियां साथ में मैदान में रहेंगी.
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