अब नहीं तलाक-तलाक-तलाक, संसद से ऐतिहासिक कानून पास

अब एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और अवैध होगा

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भारत
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ट्रिपल तलाक विधेयर अगले संसद सत्र में फिर होगा पेश
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ट्रिपल तलाक विधेयर अगले संसद सत्र में फिर होगा पेश
(प्रतीकात्मक तस्वीर: PTI)

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तलाक, तलाक, तलाक...किसी ने मुंह पर कहा तो किसी ने फोन पर फरमान सुनाया. लेकिन मुस्लिम महिलाओं के साथ अब ये नाइंसाफी नहीं होगी. राज्यसभा ने ऐतिहासिक तीन तलाक बिल पास कर दिया है. लोकसभा पहले ही इस कानून को पास कर चुका है. यानी अब देश से तीन तलाक की प्रथा खत्म हो गई है.

राज्यसभा में बिल के समर्थन में 99 वोट पड़े जबकि विरोध में 84. बता दें कि राज्यसभा में बीजेपी के पास 78, जबकि इसके सहयोगी दलों को मिलाकर यानी एनडीए के पास 107 सीटें हैं. वोटिंग के वक्त बीजू जनता दल ने बिल का समर्थन किया. जेडी (यू) और AIDMK ने वॉकआउट किया था. इससे बिल पास कराने के लिए जरूरी वोटों की संख्या 121 से घट गई. समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस की सदन में गैर मौजूदगी ने भी एनडीए को बिल पास कराना आसान बना दिया.

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बिल की खास बातें

  1. एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत गैरकानूनी होगा
  2. ऐसा करने वाले को होगी तीन साल की कैद
  3. तीन तलाक संज्ञेय अपराध होगा, बिना वारंट के गिरफ्तार करेगी पुलिस
  4. संज्ञेय उसी केस में होगा, जब महिला या उसका कोई सगा-रिश्तेदार शिकायत करे
  5. तीन तलाक देना गैरजमानती अपराध होगा
  6. पीड़िता को मिलेगा गुजारा भत्ता का अधिकार
  7. मजिस्ट्रेट करेंगे इस मुद्दे पर अंतिम फैसला
  8. जम्मू-कश्मीर को छोड़ कर पूरे देश में लागू होना है

सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था. क्योंकि लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक के पारित होने के बाद वो राज्यसभा में अटक गया था. मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश- 2019 के तहत तीन तलाक अवैध, अमान्य है.

22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ऐतिहासिक फैसला

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 11 से 18 मई 2018 सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई चली थी. इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए उत्तराखंड की शायरा बानो सहित 7 मुस्लिम महिलाओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी पेश की गई थी, जबकि पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे धार्मिक मसला बताते इस पर सुनवाई न करने की मांग की थी. केंद्र सरकार ने भी सुनवाई के दौरान तलाक-ए-बिद्दत यानी एक साथ तीन तलाक को खत्म करने की पैरवी की थी.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2018 को एक साथ तीन बार तलाक बोलकर तलाक देने की व्यवस्था यानी तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक करार दिया था. आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन तलाक पर कानून बनाने को कहा था. अब लोकसभा-राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास हो गया है, इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. मंजूरी मिलते ही ये बिल कानून बन जाएगा.

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Published: 30 Jul 2019,06:47 PM IST

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