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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
लगभग 1 साल पहले योगी सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाला उन्नाव रेप एक बार फिर सुर्खियों में है. 28 जुलाई की शाम रायबरेली में सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें गलत साइड से आ रहे ट्रक ने कार को टक्कर मारी. इस कार में उन्नाव रेप केस की पीड़िता और उसके परिवार के साथ वकील भी सवार थे. दुर्घटना में पीड़िता गंभीर रूप से घायल हो गई जबकि उसकी मौसी और चाची की मौत हो गई.
वैसे तो ये सड़क दुर्घटना है लेकिन जो चीजें दिखाई दे रही हैं, उसे देख कोई भी कहेगा कि ये सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं हो सकती. इसकी तीन बड़ी वजहें सामने नजर आ रही हैं.
ट्रक के नंबर प्लेट पर काला रंग लगा था, जिसे जब चाहे तब कपड़े से साफ किया जा सके. ये रंग बताने के लिए और समझाने के लिए काफी है कि 'दाल में काला' नहीं बल्कि बहुत ज्यादा ही काला है. हालांकि इस पर पुलिस का अपना तर्क है.
जिस वक्त हादसा हुआ उस वक्त पीड़िता को मिले सुरक्षाकर्मी कहां गायब थे? उन्नाव रेप केस के बाद लगातार मिल रही धमकी की वजह से पीड़िता और उसके परिवार को शिफ्ट के मुताबिक 7 सुरक्षाकर्मी मिले थे. जिसमें 4 घर और परिवार की सुरक्षा और 3 पीड़िता के साथ आने-जाने के वक्त ड्यूटी पर रहते थे, लेकिन रायबरेली जेल से जब पीड़िता और उसका परिवार वापस घर जा रहा था तो सुरक्षकर्मी साथ नहीं थे.
ऐसा मान भी लेते हैं कि पीड़िता ने सुरक्षाकर्मियों को छुट्टी दे दी थी या अपने साथ आने से मना कर दिया था. लेकिन क्या ये अधिकार पीड़िता या उसके परिवार के पास है? क्योंकि ये सिर्फ उसकी सुरक्षा का मामला नहीं है बल्कि एक बड़े मामले के अहम गवाह की सुरक्षा का भी है. जिसमें बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर जेल में हैं. सुरक्षाकर्मियों को पीड़ित परिवार ने साथ आने से अगर मना कर दिया तो क्या उन्होंने इसकी जानकारी अपने आलाधिकारियों को दी.
घटनास्थल पर मौजूद लोगों के बीच रेनकोट पहने एक शख्स को लेकर भी चर्चा थी. बताया जा रहा है कि ये शख्स कार को ट्रैक करते हुए घटनास्थल पर पहुंचा और लगातार फोन पर बात कर रहा था. जैसे ही एक्सिडेंट हुआ वो फोन से वीडियो बनाने लगा. ये देखते ही ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और वो शख्स मौके से भाग निकला. हो सकता है कि ये भी एक इत्तेफाक हो!
इस एक सड़क दुर्घटना में तीन-तीन इत्तेफाक एक साथ नजर आ रहे हैं. हो सकता हो ये भी एक इत्तेफाक ही हो!
बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर उनके गांव की युवती ने जून 2017 में रेप का आरोप लगाया था. इस मामले में थाने ने एफआईआर नहीं लिखी तो पीड़ित परिवार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लड़की का आरोप था कि विधायक और उसके साथी पुलिस में शिकायत नहीं करने का दबाव बनाते रहे.
इस बीच जब लड़की के पिता थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे तो पुलिस ने उल्टे उन्हें ही किसी दूसरे मामले में थाने में बंद कर दिया और पिटाई की. इंसाफ ना मिलता देख पीड़िता ने अपने परिवार के साथ लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ के कैंपस में आत्मदाह की कोशिश भी की थी. लेकिन ये मामला इतना तूल नहीं पकड़ पाया और अधिकारियों ने भी इसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया. हो सकता है विधायक का दबाव भी रहा हो!
लेकिन जब पीड़िता के पिता की पुलिस पिटाई से मौत हुई और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जो खुलासा हुआ, उसको लेकर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया. उन्नाव रेप केस सुर्खियों में था और सरकार को जवाब देते नहीं बन रहा था.
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