Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019SC में केंद्र ने कहा-तीन तलाक असंवैधानिक होने पर हम नया बिल लाएंगे

SC में केंद्र ने कहा-तीन तलाक असंवैधानिक होने पर हम नया बिल लाएंगे

बहुविवाह और ‘निकाह हलाला’ के मुद्दे भविष्य में विचार किए जाने के लिए खुले रहेंगे.

द क्विंट
भारत
Updated:
(फोटो: द क्विंट)
i
(फोटो: द क्विंट)
null

advertisement

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भी ट्रिपल तलाक मामले पर सुनवाई जारी रही. केंद्र ने अदालत से कहा कि अगर कोर्ट तीन तलाक को अमान्‍य और असंवैधानिक करार देता है, तो वह मुसलमानों में शादी और तलाक से जुड़ा नया कानून लेकर आएगा.

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्‍ट‍िस जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ से कहा, ‘‘अगर अदालत तुरंत तलाक (तीन तलाक) के तरीके को खारिज कर देती है, तो केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय के बीच शादी और तलाक से जुड़ा एक नया कानून लाएगी.''

रोहतगी ने यह बात तब कही, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पूछा कि अगर इस तरह के तरीके खारिज कर दिए जाएं, तो शादी से निकलने के लिए किसी मुस्लिम मर्द के पास क्या तरीका होगा?

इससे पहले अदालत ने कहा कि समय की कमी के चलते वह सिर्फ ट्रिपल तलाक के मुद्दे को निबटाएगी. बहुविवाह और निकाह हलाला के मुद्दे लंबित रहेंगे.

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि मुस्लिमों में निकाह हलाला और बहुविवाह (पॉलीगैमी) प्रथा पर भी सुनवाई होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल के तर्क पर विचार किया और कहा कि ये दोनों मुद्दे भविष्य में विचार किए जाने के लिए खुले रहेंगे.

संविधान पीठ में जस्‍ट‍िस कुरियन जोसफ, जस्‍ट‍िस आरएफ नरीमन, जस्‍ट‍िस यूयू ललित और जस्‍ट‍िस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सुप्रीम कोर्ट में मुकुल रोहतगी ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा:

  • एकतरफा तीन तलाक गलत है
  • जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार तलाक को लेकर नया विधेयक लाएगी
  • 'ट्रिपल तलाक' मुस्‍ल‍िम समुदाय के भीतर और देश के भीतर महिलाओं के बराबरी के अधिकार का हनन करता है.

इस पर बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा:

  • अल्‍पसंख्‍यकों के अधिकारों की रक्षा का दायित्‍व अदालत पर है
  • हमारे पास जो सीमित समय है, उसमें तीनों मुद्दों को निबटाना संभव नहीं है. हम उन्हें भविष्य के लिए लंबित रखेंगे.

इन मुद्दों पर चल रही है सुनवाई

  • ट्रिपल तलाक इस्लाम के जरूरी हिस्से हैं या नहीं?
  • ट्रिपल तलाक मुसलमानों के लिए माने जाने लायक मौलिक अधिकार है या नहीं?
  • क्या यह मुद्दा महिला का मौलिक अधिकार है? इस कोर्ट इस पर आदेश दे सकता है?

ट्रिपल तलाक को लेकर मुस्लिम महिलाओं की ओर से 7 याचिकाएं दायर की गई हैं. इनमें अलग से दायर की गई 5 रिट पिटीशन भी हैं. इनमें दावा किया गया है कि तीन तलाक असंवैधानिक है.

'ये शादी तोड़ने का सबसे खराब तरीका'

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था, '‘तीन तलाक मुस्लिमों में शादी खत्म करने का सबसे खराब तरीका है.’'

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था, ‘‘ऐसे भी संगठन हैं, जो कहते हैं कि तीन तलाक वैध है, लेकिन मुस्लिम समुदाय में तोड़ने के लिए यह सबसे खराब तरीका है और यह अनवांटेड है.''

संविधान पीठ ने ये टिप्पणी उस वक्त की, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री और सीनियर एडवोकेट सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह ऐसा मसला नहीं है, जिसकी न्यायिक जांच की जरूरत हो. वैसे भी महिलाओं को निकाहनामा में ही इस बारे में शर्त लिखवाकर तीन तलाक को ‘नहीं' कहने का अधिकार है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 15 May 2017,12:07 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT