ट्रिपल तलाक के खिलाफ 'भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन' की महिलाओं ने काफी बहादुरी से लड़ाई जारी रखी है. अकेले इस मुद्दे को केंद्र तक लेकर आई जो बड़ी बहस बन चुकी है. ट्रिपल तलाक का कुरान में कोई जिक्र नहीं है और ये महिलाओं के खिलाफ है. बीस से ज्यादा देशों में यह बैन हो चुका है और अब भारत में भी बैन किए जाने की बात हो रही है.
ये हमें नहीं भूलना चाहिए कि मुस्लिम महिलाएं ही सालों से इस महिला विरोधी मुद्दे के खिलाफ समुदाय को एकजुट करने में लगी हैं . क्योंकि यह महिलाओं के खिलाफ अन्याय है.
AIMPLB’ का ट्रिपल तलाक को बुरा कहनेवालों का बहिष्कार करना अपने आप में गलत है क्योंकि ट्रिपल तलाक खुद एक गाली है! तो फिर ट्रिपल तलाक के गलत इस्तेमाल का सवाल कहां उठता है, ठीक वैसे ही जैसे छेड़खानी का गलत इस्तेमाल करना? ये सब तरीके हैं मुद्दे से भटकाने के लिए.
मॉडल निकाहनामा बनाने की मांग समुदाय के लोग कई सालों से कर रहे हैं. क्योंकि इस्लाम में शादी को एक कॉन्ट्रेक्ट की तरह लिया जाता है जिसके लिए पति-पत्नी के बीच समझौता होता है. एआईएमपीएलबी ने शुरू में तो इसका विरोध किया था लेकिन बाद में कहा कि इसे एक विकल्प के तौर पर पर रहने दिया जाए.
ये संभव होना मुश्किल है कि गांव में रहने वाला एक गरीब पिता अपने दामाद से मॉडल निकाहनामे के बारे में पूछने की हिम्मत कर सके अगर इसे अनिवार्य नहीं किया जाता.
अब समय आ गया है, हम सब मिलकर ट्रिपल तलाक पर बैन लगाने की मांग करें.
(भावना सोमैया से बातचीत के आधार पर)
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