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टीआरपी घोटाले में गिरफ्तार, ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) इंडिया के पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO), रोमिल रामगढ़िया को साल 2017 से एक चैनल से लाभ प्राप्त हो रहा था. मुंबई पुलिस में सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है. सूत्रों ने बताया कि रामगढ़िया के फोन से मिली WhatsApp चैट से पता चला है कि वो इसी मामले में गिरफ्तार एक टीवी चैनल के कर्मचारी को टीआरपी फ्लक्चुएशन्स को लेकर अंदर का जानकारी लीक कर रहे थे.
पुलिस के मुताबिक, टीआरपी मैनुपुलेशन को लेकर BARC का अपना मैकेनिज्म है, जो ऐसा होने पर रेगुलेटर को अलर्ट कर देता है, लेकिन क्योंकि रामगढ़िया ही इस डिपार्टमेंट के प्रमुख थे, इसलिए टीआरपी फ्रॉड करने पर उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 800 पन्नों की फॉरेन्सिक ऑडिट रिपोर्ट, रिपब्लिक टीवी समेत आरोपी चैनलों द्वारा वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा कर रही हैं. इस रिपोर्ट को क्राइम ब्रांच की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जोड़ा जाएगा.
सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है कि रिपब्लिक भारत की व्यूअरशिप और टीआरपी को लॉन्च होने के शुरुआती महीनों से ही इंफ्लेट किया गया था. इसमें कहा गया है, “टीआरपी बढ़ने से ARG मीडिया आउटलेयर (जो कंपनी रिपब्लिक टीवी और रिपब्लिक भारत की मालिक है) को ज्यादा रेवेन्यू के लिए मोलभाव करने की शक्ति मिल गई. इसके अलावा, इसने भविष्य में हाई रेवेन्यू प्रोजेक्ट कर, अपने शेयरों को हाई प्रीमियम पर वैल्यू किया.”
रिपोर्ट में आगे कहा है, "शेयर कैपिटल के पैसे से मिले कुछ फंड्स को इसके डायरेक्टर, अर्णब गोस्वामी के निजी खाते के माध्यम से भेजा गया था, जो बदले में SARG मीडिया होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के एक कर्मचारी को भुगतान करने में उपयोग किया गया था, जिसका नाम अजय गर्ग था, जिसने बाद में डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया था.
टीआरपी घोटाले में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के सीईओ, विकास खानचंदानी और रिपब्लिक टीवी के डिस्ट्रीब्यूशन हेड, घनश्याम सिंह को जमानत मिल गई है.
मुंबई पुलिस ने बताया था कि उन्हें खानचंदानी और घनश्याम सिंह के बीच की WhatsApp चैट मिली है. पुलिस ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी, ड्यूल फ्रीक्वेंसी टैक्टिक के जरिए टीआरपी को मैन्यूपुलेट कर रही थी. ड्यूल फ्रीक्वेंसी में एक चैनल, दो फ्रीक्वेंसी पर टेलीकास्ट होता है.
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