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केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और पारंपरिक मीडिया हाउसेस के बीच नए आईटी कानूनों के तहत डिजिटल मीडिया को रेगुलेट करने के मुद्दे पर हुई बैठक के बाद एक नया सवाल खड़ा हुआ है.
सवाल है कि चूंकि प्रिंट और टेलिविजन मीडिया पहले से ही रेगुलेटरी गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं, तो इन पारंपरिक मीडिया हाउसेस की डिजिटल विंग को आईटी के नए नियमों से बाहर रखा जाएगा या नहीं.
मंत्रालय की प्रेस रिलीज के मुताबिक, डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन ( DNPA) के सदस्यों ने अपना नाम सार्वजनिक न करते हुए ये मांग रखी है कि उन्हें आईटी के 2021 में आए नए रेगुलेशंस से बाहर रखा जाए. उनका तर्क है कि टेलीविजन और प्रिंट मीडिया पहले से ही केबल टेलीविजन नेटवर्क एक्ट और प्रेस काउंसिल एक्ट की रेगुलेट्री गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं.
11 मार्च, गुरुवार को हुई इस वर्चुअल मीटिंग में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और DNPA के प्रतिनिधि उपस्थित थे. इंडिया टुडे, दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, द टाइम्स ऑफ इंडिया, एबीपी, ईनादू, दैनिक जागरण समेत कई मीडिया हाउसेस के प्रतिनिधि इस मीटिंग में शामिल हुए.
प्रिंट मीडिया के् पब्लिशर्स ने कहा कि वे पहले से ही डिजिटल कॉपियां पब्लिश करते वक्त गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि उन्हें उन नए पब्लिशर्स की तरह ट्रीट न किया जाए, जो सिर्फ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हैं.
डिजिटल मीडिया के रेगुलेट करने के लिए 30 पेज की गाइडलाइन जारी की गई है. जिसका शीर्षक है. ‘Information Technology (Guidelines for Intermediaries and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021’, इसमें सोशल मीडिया को लेकर गाइडलाइन के अलावा डिजिटल न्यूज मीडिया के लिए ‘कोड ऑफ एथिक्स’ का भी जिक्र है. इन नए आईटी नियमों में न्यूज और करंट अफेयर्स के प्रकाशकों को डिजिटल मीडिया परिभाषित किया गया है. गाइडलाइन में डिजिटल मीडिया को रेगुलेट करने के लिए एक नया तंत्र बनाने की बात कही गई है.
नए आईटी नियमों में डिजिटल न्यूज मीडिया उन्हें कहा गया है, जो न्यूज और करंट अफेयर से जुड़ा कंटेंट क्रिएट करते हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या पारंपरिक मीडिया हाउसेस की डिजिटल विंग को इससे छूट मिल जाएगी?
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अपार गुप्ता के मुताबिक, पारंपरिक मीडिया हाउसेस के लिए इस आधार पर नए आईटी नियमों से छूट पाना आसान नहीं होगा कि वे पहले से ही टेलीविजन और प्रिंट के लिए जारी गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं. क्योंकि ये मीडिया हाउस पहले से ही ऐसा कंटेंट क्रिएट कर रहे हैं जिसकी खपत डिजिटल दुनिया में होती है.
सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर की लीगल डायरेक्टर प्रशांत सुगथन कहते हैं कि - नए नियम डिजिटल मीडिया को रेगुलेट करेंगे. इसमें न्यूज औट करंट अफेयर से जुड़े कंटेंट के पब्लिशर शामिल होंगे. यानी ऑनलाइन पेपर, न्यूज पोर्टल और न्यूज एजेंसियां आदि सब इसमें शामिल होंगे. इससे छूट सिर्फ न्यूज पेपर और ई-पेपर को दी जा सकती है.
गाइडलाइन में दी गई ऑनलाइन कटेंट की परिभाषा को ध्यान में रखते हुए मीडिया हाउस ई-पेपर में छूट की मांग कर सकते हैं. ऑनलाइन पेपर और न्यूज पोर्टल इसके दायरे में आएंगे ही.
वर्चुअल मीटिंग में DNPA के सदस्यों ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से इस मुद्दे पर बात की. हालांकि, जावड़ेकर की दलील यही थी कि पारंपरिक मीडिया हाउस भी डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए अलग से कंटेंट क्रिएट करते हैं.
मंत्रालय की प्रेस रिलीज के मुताबिक, प्रिंट और टीवी चैनलों के पास अपने डिजिटल वर्जन भी हैं. यहां वही कंटेंट होता है, जो उनके पारंपरिक प्लेटफॉर्म पर है. हालांकि, डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए कई बार अलग से भी कंटेंट तैयार किया जाता है.
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