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सरकार के पास आईटी एक्ट के तहत ट्विटर को ट्वीट से 'मैनिपुलेटेड मीडिया' टैग हटाने का निर्देश देने का अधिकार नहीं है, अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से यह बात कही गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने शुक्रवार को ट्विटर से बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा सहित भारतीय नेताओं के कुछ ट्वीट्स से 'मैनिपुलेटेड मीडिया' टैग को हटाने के लिए कहा था. हालांकि, यह खबर लिखे जाने तक ट्विटर ने पात्रा के ट्वीट से टैग नहीं हटाया है.
बता दें कि माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर ने पात्रा के उस ट्वीट पर 'मैनिपुलेटेड मीडिया' टैग लगाया है, जिसमें एक दस्तावेज पोस्ट करते हुए कहा गया है, ‘‘मित्रों, महामारी के दौरान जरूरतमंदों की मदद करने से संबंधित कांग्रेस के इस टूलकिट पर नजर डालिए. यह एक ठोस प्रयास की बजाय कुछ ‘मित्र पत्रकारों’ और ‘असर डालने वालों’ की मदद से प्रचार की कवायद भर है. आप कांग्रेस के एजेंडा के बारे में खुद पढ़िए.’’
ट्विटर के मुताबिक, वो उन ट्वीट पर 'मैनिपुलेटेड मीडिया' टैग लगाता है, जिनसे वो कंटेंट जुड़ा होता है, जिसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया हो.
पॉलिसी थिंक-टैंक द डायलॉग के संस्थापक काजिम रिजवी का कहना है, ''सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की अपनी सेवा शर्तें होती हैं, जिन्हें यूजर किसी प्लेटफॉर्म से जुड़ने के समय साइन अप करते हैं और इन शर्तों का पालन करने के लिए सहमत होते हैं. अगर कोई इन सेवा शर्तों का उल्लंघन करता है, तो वो संबंधित प्लेटफार्म्स की ओर से बताए गए कई तरह के एनफोर्समेंट के अधीन होता है."
सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर, इंडिया के लीगल डायरेक्टर प्रशांत सुगथन ने कहा कि भारत में ऐसा कोई कानून या रेग्युलेशन नहीं है, जो इंटरमीडिअरीज द्वारा कंटेंट की मार्किंग, फ्लैगिंग या लेबलिंग को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित करता हो.
वहीं, रिजवी ने कहा कि निजी कंपनियों की ओर से सेवा शर्तों को लागू किए जाने के मामले में हस्तक्षेप करने के सरकार के प्रयास सेंसरशिप के खतरे को बढ़ाते हैं.
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