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भारतीय अधिकारियों ने देश के सभी टेबल टॉप रनवे पर एक सेफ्टी सिस्टम इंस्टॉल करने के लिए पिछले एक दशक में दिए गए कम से कम दो सुझावों को नजरअंदाज किया है. केरल के कोझिकोड में ऐसे ही टेबल टॉप रनवे पर एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान फिसलकर घाटी में गिर गया और कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई.
साल 2010 में मैंगलोर एयरपोर्ट पर एयर इंडिया एक्सप्रेस का ही विमान रनवे से बाहर चला गया था और घाटी में जा गिरा था. इस घटना में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. दुर्घटना की जांच रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि सभी टेबल टॉप रनवे वाले एयरपोर्ट पर ग्राउंड एरेस्टर सिस्टम लगाया जाना चाहिए. इस सिस्टम की मदद से रनवे पर फिसलने वाले विमान को रोका जा सकता है. ये सिस्टम सभी एयर फोर्स बेस पर होता है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि 2011 में सिविल एविएशन सेफ्टी एडवाइजरी काउंसिल के एक सदस्य ने टॉप ब्यूरोक्रेट्स को एक लेटर लिखा था. इसमें कोझिकोड के रनवे की सुरक्षा खामी बताई गई थी. लेटर में कहा गया था कि इस रनवे पर पर्याप्त सेफ्टी मैकेनिज्म नहीं है और खासकर जब रनवे गीला हो और टेलविंड हो.
अपने साल 2011 के लेटर में एविएशन सेफ्टी एनालिस्ट मोहन रंगनाथन ने कहा था कि कोझिकोड के रनवे पर 'बारिश के समय में टेलविंड स्थिति के साथ लैंड करने वाली सभी फ्लाइट यात्रियों की जान को खतरे में डाल रही हैं.' रंगनाथन ने कहा था, "ये बहुत खतरनाक परिस्थिति है, खासकर जब रनवे गीला हो तो."
2017 में स्पाइसजेट का बॉम्बार्डियर Q-400 एयरक्राफ्ट 75 लोगों के साथ कोझिकोड के इसी रनवे पर फिसल गया था और आखिर में लाइट से टकरा गया था. घटना की फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक ये भी गीले रनवे पर हुआ था. द हिंदू की एक रिपोर्ट बताती है कि इसके एक साल बाद एयरपोर्ट अथॉरिटीज ने अतिरिक्त सेफ्टी के लिए कदम उठाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और इसके लिए ज्यादा ऑपरेशनल और मेंटेनेंस लागत का हवाला दिया.
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