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कुछ वेबसाइटों पर लोगों के आधार डिटेल के लीक होने की खबर का यूआईडीएआई ने खंडन किया है. द क्विंट ने शुक्रवार को इस बारे में खबर दी थी. इसमें कहा गया था कि एक सरकारी साइट, देश के टॉप फुटबॉल बॉडी एआईएफएफ और एक निजी कंपनी स्टारकार्ड्स् की साइटों पर कुछ लोगों की आधार जानकारियां लीक हो गई हैं.
रिपोर्ट में यूएआईडीएआई को इसके लिए जिम्मेदार नहीं माना है. इसके बावजूद आधार प्राधिकरण ने लगातार ट्वीट कर सफाई जारी की. लेकिन इस चक्कर में उसने लोगों को गुमराह ही किया.
यूआईडीएआई ने उन रिपोर्टों को गुमराह करने वाला बताया है. जिनमें तमाम साइटों में लोगों की आधार जानकारियां लीक होने का जिक्र किया गया है. यूआईडीएआई ने कहा है कि इस डाटा लीक का आधार की सिक्यूरिटी और डाटाबेस से कोई लेनादेना नहीं है.
लेकिन द क्विंट ने भी अपनी रिपोर्ट में यूआईडीएआई को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. रिपोर्ट मे कहीं यह नहीं कहा गया है कि जो आधार कार्ड दिखाए जा रहे हैं जो यूआईडीएआई डाटाबेस से चोरी हुए हैं. लेकिन यह तो सच है कि आधार डिटेल यूं ही खुलेआम ऑनलाइन पर जहां-तहां मौजूद हैं. दरअसल इससे लोगों की प्राइवेसी में सेंध लगी हैं और उनके सामने ऑनलाइन फ्रॉड और फिशिंग का खतरा पैदा हो गया है.
यूआईडीएआई लोगों को सलाह दे रहा है कि किसी भी डिजिटल एक्टिविटी के वक्त पर्सनल जानाकीर देते हुए उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए. यह सलाह बिल्कुल ठीक है. यही बात तो द क्विंट कहना चाहता है. हजारों लोगों के पर्सनल डॉक्यूमेंट का किसी के हाथ लगना ही सबसे बड़ी समस्या है.
यूआईडीएआई ने कहा है आधार आइडेंटिटी डॉक्यूमेंट है और जब यह मांगा जाए तो पेश किया जाए. इससे कोई इनकार नहीं करता कि यह पहचान दस्तावेज है और मांगने पर पेश करना चाहिए. लेकिन अपनी पहचान के बारे में बताना और किसी ऑर्गेनाइजेशन, कंपनी या ऐसी किसी दूसरे निकाय की ओर से इनका खुलासा कर देना अलग बात है.
फर्ज कीजिये कि किसी होटल में चेक-इन के दौरान कोई अपना आधार कार्ड पहचान के तौर पर देता है. होटल वाला इसे स्कैन कर इसकी एक कॉपी अपने रिकार्ड के तौर पर रखता है. लेकिन यह उसका अधिकार नहीं है कि वह इस स्कैन कॉपी को सार्वजनिक तौर पर देखे जाने के लिए ऑनलाइन अपलोड कर दे.
हाल के आधार डाटा लीक मे लोगों के नाम, आधार नंबर, माता-पिता के नाम, पता, जन्म तारीख और फोटोग्राफ लीक हुए हैं. साफ है कि इतनी जानकारियों से कोई आपकी निजी सूचनाओं में सेंध लगा सकता है और आप ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार हो सकते हैं. कोई आपके खाते से रकम उड़ा सकता है. कोई आपके पर ऑनलाइन खरीदारी कर सकता है और दूसरे साइबर अपराधों को अंजाम दे सकता है. क्या यूआईडीएआई की इतनी सी बात समझ में नहीं आती.
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