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केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने देश में भारतीयों की तस्करी में शामिल एक गिरोह का 7 मार्च को भंडाफोड़ किया है. जांच एजेंसी का दावा है कि ये गिरोह नौकरी देने के बहाने लोगों को रूस ले जाता है और फिर वहां पर सेना में भर्ती करने के लिए मजबूर करता है. सीबीआई की ये कार्रवाई यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में शामिल होने के लिए धोखाधड़ी करने वाले हैदराबाद के एक व्यक्ति की हत्या की सूचना आने के एक दिन बाद की गई है.
NDTV के अनुसार, कुछ को डिलीवरी बॉय के रूप में नौकरी देने के बहाने भेजा गया था, दूसरों को बताया गया था कि वे रूसी सेना के लिए सहायक के रूप में काम करेंगे, लेकिन उन्हें स्पष्ट रूप से आश्वासन दिया गया था कि उन्हें युद्ध में लड़ने के लिए आगे नहीं भेजा जाएगा.
युवाओं को यह भी बताया गया कि चूंकि रूस को युद्ध के प्रयासों में जनशक्ति की आवश्यकता है, इसलिए देश उन्हें एक "सरकारी आधिकारिक" कार्ड जारी करेगा, जो स्थायी निवास की गारंटी देगा.
एजेंटों का झूठ न केवल इस तथ्य से उजागर हुआ है कि हैदराबाद के एक व्यक्ति की लड़ाई में मौत होने का आरोप है, बल्कि कंपनियों के खिलाफ सीबीआई की पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) से भी पता चला है, जिसमें कहा गया है कि युद्ध क्षेत्र में कुछ भारतीय भी गंभीर रूप से घायल हुए थे.
एक ब्रीफिंग में शुक्रवार (8 मार्च) को विदेश मंत्रालय ने भी तस्करी और इससे जुड़े जोखिमों को स्वीकार किया.
एक वीडियो में खान रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में नजर आ रहे हैं. उन्होंने वीडियो की शुरुआत यह बताते हुए की कि फिनलैंड और एस्टोनिया शहर से 150 किमी से भी कम दूरी पर हैं और हिंदी में कहते हैं, "आप समझ सकते हैं कि जब आप इतने करीब होते हैं, तो दबे शब्दों में, आप यहां आकर क्या-क्या कर सकते हैं."
अपने दर्शकों को दिखाते हुए कि सेंट पीटर्सबर्ग कितना खूबसूरत है और यह लड़ाई से कितना दूर है, खान कहते हैं कि वहां डिलीवरी बॉय के रूप में और रूसी सेना में सहायक के रूप में भी नौकरियां उपलब्ध हैं.
खान ने अपने दर्शकों को आश्वासन देते हुए कहा, "अगर कोई खतरा होता या आपको अग्रिम मोर्चे पर रहना होता तो मैं भी ऐसा नहीं करता. मैंने व्यक्तिगत रूप से सब कुछ पुष्टि कर दी है. आप मेरी जिम्मेदारी होंगी और अगर आपको युद्ध का हिस्सा बनना पड़ा तो यह एक समस्या मेरे लिए भी होगी. आप सीमा पर नहीं होंगे, आपको बस सेना की मदद करनी होगी."
ठीक इसी तरह 30 वर्षीय हैदराबादी व्यक्ति मोहम्मद असफान को धोखा दिया गया, जिसकी बुधवार (6 मार्च) को यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में मौत की पुष्टि हुई थी. उनके परिवार ने कहा कि वह और उनके दो दोस्त खान के संपर्क में आए थे और देश में सरकारी कार्यालयों में सहायक के रूप में नौकरी का वादा करने के बाद उन्हें रूस ले जाया गया था.
सीबीआई ने गुरुवार (7 मार्च) को सात शहरों - दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, अंबाला, चंडीगढ़ और मदुरै में छापे मारे और एक मामला भी दर्ज किया. केंद्रीय जांच एजेंसी ने अपनी एफआईआर में जिक्र किया है कि अन्य एजेंटों ने भी इसी तरह की प्लेबुक का इस्तेमाल किया था.
सीबाआई ने अपनी प्राथमिकी में कहा, "उपरोक्त आरोपियों ने स्वयं और अपने एजेंटों के माध्यम से रूसी सेना (सुरक्षा गार्ड, सहायक) से संबंधित नौकरियां दिलाने के बहाने भारतीय नागरिकों को रूस में तस्करी की."
सीबीआई ने यह भी कहा है कि कई भारतीयों को रूस में "संदिग्ध" निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश का वादा करके शिक्षा वीजा पर ले जाया जा रहा था. इसके बाद, उन्हें वीजा एजेंटों और कॉलेज अधिकारियों की दया पर छोड़ दिया जाता है.
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