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"घर वापसी चाहते हैं": रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए भारतीयों को दिया गया धोखा

कथित तौर पर रूसी सेना में शामिल होने का झांसा देकर यूक्रेन भेजे गए सात भारतीय पुरुषों के परिवार उनकी वापसी की मांग कर रहे हैं.

जसप्रीत सिंह
न्यूज
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<div class="paragraphs"><p>"घर वापसी चाहते हैं": रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए भारतियों को ठगा गया </p></div>
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"घर वापसी चाहते हैं": रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए भारतियों को ठगा गया

(फोटो: वायरल वीडियो का स्क्रीनग्रैब. क्विंट हिंदी/चेतन भाकुनी द्वारा अलटर्ड)

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"मन तो यही है भाई की जल्दी से जल्दी अपने देश वापस आ जाए." क्विंट हिंदी को एक व्हाट्सएप संदेश में 20 साल के हर्ष कुमार ने ये बात कही.

हर्ष उन सात भारतीयों में से एक है, जो कथित तौर पर एक ट्रैवल एजेंट द्वारा धोखा दिए जाने के बाद रूस में फंसे हुए हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या वह सुरक्षित हैं, हर्ष ने जवाब दिया: "हां जी भाई (हां भाई)".

इस बीच, पंजाब के गुरदासपुर जिले के देहरीवाल किरण गांव में बलविंदर कौर के साधारण घर में मातम छा गया है, क्योंकि वे अपने बेटे गगनदीप के घर वापस आने का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं.

बलविंदर कौर ने बताया, "हमने लंबे समय से उससे बात नहीं की है. एक दिन उसने मुझे फोन किया और कहा, 'मम्मा, उन्होंने मुझे जबरदस्ती अपनी सेना में भर्ती कर लिया है. मैं घर वापस आना चाहता हूं. अब वह मुझे बार-बार फोन नहीं करता. यहां तक कि जब वह फोन करता है, तो वह जल्दी से फोन रख देता है और कहता है कि वह बात नहीं कर सकता: 'मम्मा, साहब आ गए हैं' (मां, मेरे सीनियर आ गए हैं)."

हर्ष की तरह, गगनदीप सिंह का 'रूस दौरा' तब खराब हो गया, जब एक ट्रैवल एजेंट ने कथित तौर पर उन्हें रूसी सेना में शामिल करने के लिए धोखा दिया. अब उन्हें कथित तौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध लड़ने के लिए डोनेट्स्क क्षेत्र में तैनात किया गया है.

गगनदीप 23 साल के हैं.

बलविंदर ने क्विंट हिंदी को फोन पर बताया, "वे उसे किसी भी समय लड़ने के लिए भेज सकते हैं. हम नहीं जानते कि उसके साथ क्या हो सकता है. मेरे मुंडे नू वापस ले आओ (कृपया मेरे बेटे को वापस लाओ), सरकार से मेरा यही एकमात्र अनुरोध है."

'बेलारूस में गिरफ्तार, रूसी सेना को सौंपा गया'

हरियाणा के करनाल जिले के निवासी हर्ष कुमार ही थे, जिन्होंने 4 मार्च को सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती सुनाते हुए एक वायरल वीडियो जारी किया था.

वीडियो में, हर्ष को लगभग छह अन्य लोगों के साथ खड़ा देखा जा सकता है, सभी सैनिक हरे रंग में, भारत सरकार से उनकी रिहाई की गुहार लगा रहे हैं. उन्होंने हिंदी में कहा कि वे पर्यटक वीजा पर रूस पहुंचे, और बाद में आवश्यक दस्तावेज नहीं होने के कारण पुलिस ने उन्हें "हिरासत में" ले लिया.

"हम नए साल का जश्न मनाने के लिए रूस आए थे. यहां हमारी मुलाकात एक टूर गाइड से हुई जिसने हमें पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराया. बाद में वह हमें बेलारूस ले गया. हमें नहीं पता था कि बेलारूस (रूस से) की यात्रा के लिए हमें (अलग) वीजा की आवश्यकता होगी. इसके बाद वह हमसे पैसे की मांग करने लगा. जब हम उसे पैसे नहीं दे सके तो उसने हमें वहीं छोड़ दिया. बाद में पुलिस ने हमें पकड़ लिया और रूसी सेना को सौंप दिया."
हर्ष कुमार

हर्ष ने वीडियो में कहा, रूसी सेना को सौंपे जाने के बाद, उन्हें "हमारी भाषा बोलने वाले" व्यक्ति ने 10 साल की जेल की "धमकी" दी थी.

हर्ष में वीडियो में अपील करते हुए कहा, "उन्होंने हमसे या तो रूस में 10 साल की जेल की सजा काटने या एक साल के अनुबंध पर 'सहायक' के रूप में सेना में शामिल होने के लिए कहा. हमने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. यह उनकी भाषा (रूसी) में था; हमें नहीं पता था कि इस पर क्या लिखा है. बाद में जब उन्होंने हमें सेना के प्रशिक्षण शिविर में भेजा, तब हमें पता चला कि हमारे साथ धोखा हुआ है."

हर्ष ने कहा, "वे कह रहे हैं कि वे हमें युद्ध में आगे भेजेंगे. हम बंदूक पकड़ना भी नहीं जानते. हम डरते हैं."

घर वापसी की जहाज छूटी, वीजा खत्म हुआ

क्विंट हिंदी ने हर्ष के फ्लाइट टिकट देखी, जिससे पता चलता है कि वे 26 दिसंबर को दिल्ली से मॉस्को के लिए एयरोफ्लोट फ्लाइट में सवार हुए थे.

उनके भाई साहिल ने कहा कि वह वहां "अपना पासपोर्ट मजबूत करने" के लिए गए थे.

साहिल ने क्विंट हिंदी को बताया, "हमारी योजना थी कि पहले उसे किसी अच्छे देश में भेजा जाए, ताकि उसका पासपोर्ट मजबूत हो सके. फिर हम उसे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका या यहां तक कि यूरोप के किसी देश में भेजने की योजना बना रहे थे."

हर्ष ने 5 जनवरी के लिए अपनी वापसी का टिकट भी बुक कर लिया था पर यह एक फ्लाइट थी, जिसमें वह घर वापस आने के लिए चढ़ नहीं सका. साहिल के मुताबिक, परिवार ने आखिरी बार हर्ष से एक दिन पहले 4 जनवरी को संपर्क किया था.
"हमने उनसे 4 जनवरी के आसपास बात की थी. फिर, उनकी वहां रुकने की कोई योजना नहीं थी. लेकिन जब वह कुछ दिनों तक नहीं लौटा, तो हमने मान लिया कि उसने अपनी यात्रा बढ़ा दी होगी, क्योंकि उसके पास दो महीने का पर्यटक वीजा था. उसके बाद लगभग 7-8 दिनों तक हमारी उससे बात नहीं हुई."
साहिल, हर्ष का भाई
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लेकिन परिवार ने तब अधिकारियों के सामने कोई खतरे की घंटी नहीं बजाई थी. साहिल ने कहा कि उन्होंने बस यह "मान लिया" कि वो और घूमने के लिए वहां रूक गया होगा.

जनवरी के मध्य तक हर्ष ने फिर से करनाल में अपने परिवार से संपर्क नहीं किया.

"15 जनवरी के आसपास, आखिरकार उसने हमें फोन किया और बताया कि उसे रूसी सेना में 'सहायक' के रूप में नियुक्त किया गया है. अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के बाद उन्होंने उसका फोन लौटा दिया. वास्तव में वह कभी बेलारूस नहीं पहुंच सका और रूसी पुलिस ने उसे बीच रास्ते में ही रोक लिया."
साहिल, हर्ष का भाई
गौरतलब है कि हर्ष का दो महीने का टूरिस्ट वीजा 22 फरवरी को खत्म हो गया था. दिलचस्प बात यह है कि उनका पासपोर्ट जारी करने का स्थान जयपुर है, जो उनके होम टाउन करनाल और निकटतम पासपोर्ट कार्यालय से मीलों दूर है. साहिल ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया को "तेज" करने के लिए किया गया था क्योंकि अंबाला कार्यालय में वीजा के लिए "तीन महीने का लंबा इंतजार" करना पड़ता.

हर्ष की मां सुमन को बलविंदर जैसी ही परेशानी का सामना कर पड़ रहा है.

"मुझे उसकी बहुत चिंता है. वह संकट में है लेकिन वह मुझसे कुछ नहीं कहता. वह नहीं चाहता कि मैं चिंतित होऊं. वह अपनी परेशानियां सिर्फ अपने पिता और भाई से ही साझा करता है. लेकिन जब भी मैं उससे बात करता हूं तो मैं उसकी आवाज में दर्द महसूस कर सकती हूं."
सुमन, हर्ष की मां

'डोनेट्स्क क्षेत्र में लड़ने के लिए तैनात'; बाद में 'वापस' लाए?

इससे पहले कि हर्ष ने 4 मार्च का वीडियो हिंदी में जारी किया, सात लोगों ने 3 मार्च को एक और वीडियो जारी किया था.

उसमें एक आदमी, जिसकी अभी तक पहचान नहीं हो सकी है, ने पंजाबी में कहा, "जब हमने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए तो हमें नहीं पता था कि वे हमें सेना में भर्ती कर रहे हैं. हम इस समय यूक्रेन में हैं, वे हमें जल्द ही युद्ध में भेज देंगे. कृपया हमें बचाएं."

साहिल के अनुसार, हर्ष ने अपने परिवार को बताया कि उन्हें यूक्रेन के युद्धग्रस्त डोनेट्स्क ओब्लास्ट क्षेत्र में भेजा गया था, जो पूर्व में रूस से घिरा हुआ है.

वर्तमान में बड़े पैमाने पर रूसी सेना द्वारा नियंत्रित, डोनेट्स्क फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में सबसे आगे रहा है. तब से, इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विनाश हुआ है.

गगनदीप की मां बलविंदर ने भी क्विंट हिंदी को बताया, 'उसने हमें बताया कि उसे युद्ध क्षेत्र में ले जाया गया है, समुद्र के पास कहीं.'

साहिल ने दावा किया कि उसने आखिरी बार हर्ष से 7 मार्च की सुबह बात की थी, जब उसने उन्हें बताया था कि उन्हें अब "प्रशिक्षण शिविर में वापस" लाया गया है. हालांकि, यह पता नहीं चल सका कि "प्रशिक्षण शिविर" यूक्रेन में युद्ध-मोर्चे पर स्थित है, या रूस में.

मैप यूक्रेन में युद्धग्रस्त डोनेट्स्क ओब्लास्ट क्षेत्र को दर्शाता है. इसके पूर्व में रूस और दक्षिण में आजोव सागर स्थित है.

(स्रोत: गूगल मैप्स का स्क्रीनग्रैब)

गगनदीप की मां बलविंदर कौर ने बताया कि उनके पति बलविंदर सिंह डेयरी किसान हैं. उनका परिवार प्रतिदिन मात्र 1,500-2,000 रुपये कमाता है.

यह पूछे जाने पर कि उनका बेटा रूस जाने में कैसे कामयाब रहा, बलविंदर ने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, और गगनदीप ने यात्रा के पैसे की व्यवस्था खुद की थी.

गगनदीप का एक छोटा भाई भी है.

हर्ष भी एक मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. उनके पिता उनके घर के नीचे एक स्थानीय किराना दुकान चलाते हैं.

रूस विदेश मंत्रालय के संपर्क में: MEA

29 फरवरी को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने पहली बार स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें "रूस में फंसे लगभग 20 लोगों" के बारे में पता चला था.

हमें पता है कि करीब 20 लोग फंसे हुए हैं. हम उनके शीघ्र वापसी के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. हमने दो बयान जारी किए हैं. हमने लोगों से यह भी कहा है कि वे युद्ध क्षेत्र में न जाएं या ऐसी स्थितियों में न फंसें जो कठिन हों.
रणधीर जयसवाल, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय

द हिंदू ने पहले एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि युद्ध दौरान कम से कम तीन भारतीयों को रूस के लिए "सैन्य सुरक्षा सहायक" के रूप में लड़ने के लिए मजबूर किया गया था.

6 मार्च को, हैदराबाद के 30 वर्षीय मोहम्मद अफसान की रूसी सेना में शामिल होने के लिए कथित तौर पर "धोखा" दिए जाने के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध लड़ते हुए मृत्यु हो गई. पिछले सप्ताह युद्ध में सूरत के एक व्यक्ति हामिल मंगुकिया के मारे जाने के बाद वह युद्ध में मरने वाले दूसरे भारतीय बन गए.

क्विंट हिंदी ने टिप्पणी के लिए भारत में रूसी दूतावास से संपर्क किया है. जब भी उनका जवाब आएगा, यह कहानी अपडेट कर दी जाएगी.

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