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दिल्ली दंगों ( Delhi Riots) में साजिश के आरोप में UAPA के तहत जेल में बंद छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद (Umar Khalid) ने एक बार फिर कोर्ट में अपनी सफाई दी है. अपने वकील के जरिए खालिद ने 8 नवंबर को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि गवाहों ने मनगढ़ंत बयान दिए और आधे सच पर केस तैयार नहीं किया जा सकता.
एडिशनल सेशन कोर्ट के जज अमिताभ रावत के सामने वरिष्ठ वकील त्रिदीप पेस उमर खालिद की ओर से जमानत के लिए दलील दे रहे थे.
वकील त्रिदीप पेस ने कोर्ट को बताया कि उमर खालिद ने वॉट्सऐप ग्रुप, दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (DPSG) पर केवल चार मैसेज भेजे थे.
मालूम हो कि DPSG की अब अथॉरिटीज द्वारा जांच की जा रही है, जिन्होंने दावा किया था कि इस ग्रुप का इस्तेमाल दंगों की योजना बनाने के लिए किया गया था. वकील त्रिदीप पेस ने कोर्ट को उमर खालिद द्वारा इस ग्रुप पर भेजा गया एक मैसेज दिखाया और कहा "मैं (उमर) बस लोगों को विरोध स्थल का लोकेशन बता रहा हूं."
एक प्रोटेक्टेड विटनेस (संरक्षित गवाह) के बयान को पढ़ने के बाद, वकील त्रिदीप पेस ने कोर्ट से कहा कि यह गवाह "इस FIR में झूठे निहितार्थ के एक पैटर्न का संकेत" है. पेस ने कोर्ट को बताया कि एक गवाह ने अपने बयान में नाम चुनकर डाले हैं.
दिल्ली पुलिस के आरोपों पर कि उमर खालिद दंगा चाहता था और "सड़कों पर खून फैलाना चाहता था", उनके वकील पेस ने तर्क दिया कि कोई सर्च या जब्ती नहीं की गयी थी और कुछ भी बरामद नहीं हुआ है.
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