advertisement
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के सर्वे के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में सभी उम्र के लोगों के लिए बेरोजगारी दर साल 2021 में जनवरी-मार्च में गिरकर 9.4 प्रतिशत रह गया. यह पिछले साल मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) लागू होने के बाद से सबसे कम है. लेकिन कोरोना (Covid) महामारी से पहले के 9.1 प्रतिशत के स्तर से ज्यादा है.
बेरोजगारी दर को लेबर फोर्स में बेरोजगार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है , जो काम करने वाले और काम की तलाश करनेवालों को जोड़कर बनता है. सर्वे में दिखाया गया है कि अक्टूबर-दिसंबर 2020 में सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए शहरी क्षेत्रों में करंट वीकली स्टेटस (CWS) की दर 10.3 प्रतिशत थी.
पुरुषों में शहरी इलाकों में यह दर जनवरी-मार्च 2021 में 8.7 प्रतिशत थी. अक्टूबर-दिसंबर 2020 में यह 9.5 प्रतिशत थी. एनएसओ ने अप्रैल 2017 में पीएलएफएस (PLFS) लॉन्च किया था.
उसी के आधार पर तिमाही बुलेटिन लाया जाता है. यह बेरोजगारी दर, लेबर पापुलेशन रेश्यो (WPR), लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR),और सीडब्ल्यूएस में रोजगार और इंडस्ट्रीज में ब्रॉड पोजीशन के आधार पर लेबर के वितरण जैसे लेबर फाॅर्स इंडीकेटर्स (LFI) का अनुमान देता है.
सीडब्ल्यूएस के मुताबिक किसी को बेरोजगार तब माना जाता है, जब कोई सात दिनों तक किसी भी दिन एक घंटे के लिए भी काम नहीं करता है. लेकिन काम मांगता है या इसके लिए तैयार है.
लेबर फोर्स-सीडब्ल्यूएस के मुताबिक सर्वे की तारीख से पहले के एक सप्ताह में या तो नियोजित या बेरोजगार व्यक्तियों की संख्या होती है.
(न्यूज इनपुट्स - बिज़नेस स्टैण्डर्ड)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)