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गाजियाबाद बुजुर्ग की पिटाई केस में ट्विटर पर FIR दर्ज की गई है. इस केस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, पुलिस का दावा था कि इसमें कोई कम्युनल एंगल नहीं था. अब इसी केस को लेकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ट्विटर पर जमकर बरसते नजर आए. न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में प्रसाद ने कहा कि अगर मैनिपुलेटेड या अनमैनिपुलेटेड ट्वीट घोषित करने के लिए नियम है तो ये गाजियाबाद मामले में लागू क्यों नहीं हुआ.
दरअसल, पिछले महीने बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा समेत कई बीजेपी नेताओं ने एक लेटर शेयर किया था. पार्टी ने इसे पीएम मोदी और सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला कांग्रेस का 'टूलकिट' बताया था. ट्विटर ने इस ट्वीट पर ‘Manipulated Media’ का लेबल लगा दिया. इस मामले में बीजेपी की खूब किरकिरी हुई थी और केंद्र सरकार-ट्विटर के बीच की तल्खी चरम पर पहुंच गई थी.
अब उसी ‘Manipulated Media’ के लेबल की बात रविशंकर प्रसाद गाजियाबाद केस में भी कर रहे हैं कि आखिर इसे यहां क्यों इस्तेमाल नहीं किया गया. रविशंकर प्रसाद ने कहा-
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि आलोचना का हक सबको है लेकिन भारत के संविधान, नियमों का पालन करना ही होगा.
नए डिजिटल मीडिया रेगुलेशन पर केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि नियमों के अनुपालन की तीन महीने की समय सीमा 25 मई को खत्म हो गई है. दूसरे प्लेटफॉर्म ने इसका पालन किया लेकिन ट्विटर ने नहीं लेकिन फिर भी ट्विटर को एक अंतिम नोटिस दिया गया.
नई गाइडलाइन पर उठते सवालों के बीच रविशंकर प्रसाद का कहना है कि इन नए नियमों को अचानक से नहीं बना दिया इनपर पिछले तीन-चार साल से काम चल रहा था. ये नियम सोशल मीडिया के उपयोग से जुड़े नहीं हैं बल्कि दुरुपयोग से जुड़े हैं ताकि जब इनका दुरुपयोग किया जाए तो यूजर शिकायत कर सकें.
रविशंकर प्रसाद का कहना है कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत आधी सरकार अगर ट्विटर पर है तो इससे पता चलता है कि सरकार कितनी निष्पक्ष है लेकिन नियम मानने होंगे.
रविशंकर प्रसाद ने कैपिटल हिल हिंसा और लाल किला हिंसा की तुलना करते हुए ट्विटर पर भेदभाव का भी आरोप लगाया.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जैसे अमेरिका के लिए कैपिटल हिल गौरव है वैसे ही लाल किला भारत के लिए है जहां पीएम तिरंगा फहराते हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लद्दाख को ट्विटर पर चीन का हिस्सा दिखाया गया, कई दिन लग गए सिर्फ इसे हटाने के लिए जो बिलकुल सही नहीं है.
सरकार और ट्विटर के बीच का ये विवाद पिछले कुछ महीनों में चरम पर था. ये विवाद इतना बढ़ गया था कि इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बंद होने तक के कयास लगाए जाने लगे थे. पिछले महीने ''टूलकिट केस'' में ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के कई ऑफिसर एक नोटिस थमाने ट्विटर के ऑफिस तक पहुंच गए. दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा था, दिल्ली पुलिस की टीम नियमित प्रक्रिया के तहत ट्विटर को नोटिस देने के लिए ट्विटर कार्यालय गई थी. इसकी आवश्यकता थी, क्योंकि हम यह पता लगाना चाहते थे कि नोटिस देने के लिए सही व्यक्ति कौन है. यह इसलिए क्योंकि ट्विटर इंडिया के एमडी के जवाब बहुत अस्पष्ट हैं
न्यूज एजेंसी से बातचीत में WhatsApp को लेकर भी सरकार का स्टैंड प्रसाद ने बताया. WhatsApp ने भी सरकार के नए नियम को कोर्ट में चुनौती दे रखी है. अब केंद्रीय मंत्री का कहना है कि सरकार सभी मैसेज को डिक्रिप्ट नहीं करना चाहती. लेकिन अगर कोई कंटेंट वायरल होता है जिसमें मॉब लिंचिंग, दंगे, हत्या, नग्नता या बच्चों के यौन शोषण से जुड़ा अगर वो मामला हुआ तो सरकार इन कैटेगरी में चाहती है कि प्लेटफॉर्म बताया कि ये हरकत कहां से शुरू हुई.
अगर वायरल मैसेज भारत में तबाही मचा रहे हैं जो सीमा पार से भेजे गए हैं तो भारत में इसे किसने शुरू किया, हम बस यही मांग रहे हैं. ये जनहित में है.
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