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UP: ‘मॉक ड्रिल’ वीडियो वाला अस्पताल सील,DM बोले-नहीं हुई 22 मौतें

उत्तर प्रदेश के आगरा में एक निजी अस्पताल में कथित तौर पर 22 मरीजों की मौत वाले वीडियो पर हड़कंप मचा हुआ है.

विवेक मिश्रा
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>(आगरा के अस्पताल के बाहर चल रहा हंगामा)</p></div>
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(आगरा के अस्पताल के बाहर चल रहा हंगामा)

(फोटो: क्विंट हिंदी) 

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वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

उत्तर प्रदेश के आगरा में एक निजी अस्पताल में कथित तौर पर 22 मरीजों की मौत वाले वीडियो पर हड़कंप मचा हुआ है. अब इस अस्पताल को सील कर दिया गया है और महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. अस्पताल के मालिक का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो कहता दिख रहा है कि 27 अप्रैल को अपने अस्पताल में 5 मिनट के लिए मॉक ड्रिल के तौर पर ऑक्सीजन की सप्लाई बंद कर दी थी.

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इस वीडियो में उस मॉक ड्रिल के दौरान कथित तौर पर 22 मरीजों की मौत की बात कही जा रही थी. अब इस मामले पर आगरा प्रशासन से लेकर लखनऊ तक मुस्तैदी दिख रही है.

22 मौतों की बात निराधार है- डीएम, आगरा

आगरा के डीएम का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी से अस्पताल में 22 मौतों की बात निराधार है. अस्पताल के पास ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. डीएम ने बताया कि अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है और इसे तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया है.

जो तथाकथित वीडियो है वो 28 अप्रैल का है. 25 अप्रैल को 149, 26 अप्रैल को 121 सिलेंडर औऱ 27 अप्रैल को 117 सिलेंडर सप्लाई किए गए थे. 20 सिलेंडर इनके पास बैकअप के तौर पर था. कुल मिलाकर इनके पास ऑक्सीजन की सप्लाई की कोई कमी नहीं थी. 22 मौतों की बात निराधार है, ऑक्सीजन की कमी के कारण इस अस्पताल में मौत नहीं हुई है. जो कोविड पॉजिटिव की मौत की घटना हुई है वो संख्या आगरा में 4 और 3 थी.
डीएम, आगरा

हमने कुछ नहीं किया है, मॉक ड्रिल नहीं हुआ- संचालक

वहीं अस्पताल के संचालक डॉ अरिंजय जैन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मॉक ड्रिल नहीं हुआ था बल्कि ऑक्सीजन का असेसमेंट हुआ था और अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 22 मौतें नहीं हुईं हैं.

मैं कल से बार बार कह रहा हूं कि ऑक्सीजन को बंद करने का कोई मॉक ड्रिल नहीं हुआ है. उसका असेसमेंट हुआ है ये ऐसा करना पड़ता है कि हम जांच लें कि हमारे यहां ऑक्सीजन मरीजों के लिए कम तो नहीं है.हमने कुछ नहीं किया है. 22 मौत हमारे यहां ऑक्सीजन से नहीं हुईं हैं.
डॉ अरिंजय जैन, संचालक, अस्पताल

विपक्ष ने बताया- सिस्टम पर काला धब्बा

इस खबर के सामने आने के बाद कई विपक्षी नेता प्रतिक्रिया दे रहे हैं. अखिलेश यादव ने इसे उत्तर प्रदेश की ‘चिकित्सा व्यवस्था’ पर एक बड़ा धब्बा बताया है.

आगरा के एक अस्पताल में ऑक्सीजन मॉकड्रिल में 22 लोगों की मौत की ख़बर बेहद दुःखद है. दिवंगतों को श्रद्धांजलि! ये घटना उत्तर प्रदेश की ‘चिकित्सा व्यवस्था’ पर एक बड़ा धब्बा है. शासन-प्रशासन द्वारा इस मामले को दबाना घोर आपराधिक कृत्य है. यूपी की बीजेपी सरकार अब अपने खिलाफ FIR करे.
अखिलेश यादव, अध्यक्ष, समाजवाजदी पार्टी

उधर इस अस्पताल का नाम लिए बगैर राहुल गांधी ने बीजेपी शासित राज्यों में हुई मौत पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा है-

बीजेपी शासन में ऑक्सीजन और मानवता दोनों की भारी कमी है. इस खतरनाक अपराध के जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाप तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. दुख की इस घड़ी में मृतकों के परिवारजनों को मेरी संवेदनाएं.
राहुल गांधी, कांग्रेस

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी इस घटना के बारे में ट्वीट कर चुकी हैं.

वीडियो में आखिर क्या बात की जा रही है?

अस्पताल मालिक के वायरल वीडियो क्लिप में वो कहता हुआ सुनाई दे रहा है,

“हमें ये बताया गया कि मुख्यमंत्री तक को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है, इसलिए हमने मरीजों को डिस्चार्ज करना शुरू कर दिया. हमने परिवारों को समझाना शुरू किया. इनमें से कुछ लोग मान गए, लेकिन कुछ ऐसे थे जिन्होंने कहा कि वो नहीं जाएंगे. तो मैंने कहा कि ठीक है एक मॉक ड्रिल करते हैं. हम पता लगाएंगे कि कौन मर सकता है और कौन जिंदा रहेगा. तो हमने सुबह 7 बजे एक मॉक ड्रिल किया. किसी को पता नहीं चला. इसके बाद हमने 22 मरीजों की पहचान की, हमें लगा कि इनकी मौत हो सकती है. ये 5 मिनट तक की गई. वो सभी नीले पड़ने लगे थे.’’

स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने इन आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। मंत्री ने कहा कि ये निजी अस्पताल पहले भी विवादों में रहा है. उन्होंने कहा, "अगर आरोपों में कोई सच्चाई पाई जाती है तो अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगीय." यह पूछे जाने पर कि क्या इस तरह की मॉकड्रिल चिकित्सा प्रणाली का हिस्सा है, मंत्री ने कहा कि इस तरह का अभ्यास केवल अग्निशमन प्रणाली की जांच के लिए किया गया था, न कि मरीजों की देखभाल में.

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Published: 08 Jun 2021,04:29 PM IST

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