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संगठन सरकार से बड़ा है!
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के इस ट्वीट के बाद राजनीतिक गलियारों में बीजेपी (BJP) प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चा तेज हो गई है. चर्चाओं का बाजार काफी दिनों से गर्म है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. सूत्रों की बात मानें तो इसको लेकर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक कई बार शीर्ष नेताओं ने मंथन किया है और कभी भी इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है.
2024 का आम चुनाव बीजेपी के लिए अहम होगा और उसमें वह अपने 2019 के परिणाम की दोहराना चाहेगी. अगर 2019 जैसी जीत चाहिए तो यूपी में 2019 वाली जीत चाहिए और उसके लिए प्रदेश में मजबूत संगठन चाहिए. और इसके लिए जरूरी है कि यूपी बीजेपी का एक कद्दावर अध्यक्ष हो. लेकिन यूपी में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली है. इसका दायित्व किसी काबिल उम्मीदवार को देने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.
वैसे तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का पद कई महीनों से खाली है लेकिन सरगर्मियां तब बढ़ीं जब उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले. सोशल मीडिया पर मुलाकात की तस्वीरें साझा हुईं और कयास लगने शुरू हो गए कि मौर्य, जो कि एक बार पूर्व में भी इस पद को संभाल चुके हैं, बीजेपी संगठन में दोबारा वापस लौट सकते हैं. 22 अगस्त को उनके ट्वीट से इन अटकलों को और बल मिल गया.
हालांकि अगर जानकारों की मानें केशव प्रसाद मौर्या का बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना मुश्किल है. नाम न बताने की शर्त पर एक बीजेपी नेता ने कहा,
हालांकि कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर उन्हें संगठन में लाया जाता है तो वो डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा दे देंगे.
ठीक इसी कारण से दूसरे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को भी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना मुश्किल लग रहा है. जातीय समीकरण को साधने के लिए लिहाज से चर्चा में पाठक का भी नाम है लेकिन उनके पास स्वास्थ्य महकमे की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. लचर स्वास्थ्य सेवाओं और महकमे के भीतर हो रहे ट्रांसफर में अनियमितताओं को लेकर पूर्व में प्रदेश की बीजेपी सरकार को विपक्ष घेर चुका है. ऐसे में पाठक को अतिरिक्त पदभार देकर प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना मुश्किल लग रहा है.
पार्टी सूत्रों की मानें तो वरीयता उसी उम्मीदवार को मिलेगी जो पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के साथ-साथ सरकार और संगठन के बीच तालमेल बिठा सके. बीजेपी उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण का भी ध्यान रखेगी और यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाला बीजेपी अध्यक्ष ब्राह्मण या पिछड़े वर्ग या फिर दलित बिरादरी का हो सकता है.
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