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उत्तर प्रदेश के कासगंज में सांप्रदायिक हिंसा से उपजे तनाव के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान आया है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य के हर नागरिक को सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है और अराजकता फैलाने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.
योगी ने कहा कि उनके राज्य में भ्रष्टाचार और अराजकता के लिए कोई जगह नहीं है. साथ ही सरकार विकास का लाभ समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचाएगी.
इस बीच कासगंज में हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं. हिंसा की छिटपुट वारदात की खबर है. एक दुकानदार के स्टोर को सोमवार रात आग लगा दी गयी. दुकानदार ने कहा कि वो इलाके का अकेला मुस्लिम दुकानदार है. उसने बताया कि वो वहां 20 साल से रह रहा है, लेकिन कभी ऐसी कोई दिक्कत नहीं आई थी.
वहीं एक अधिकारी ने बताया कि कुछ जगहों पर छापेमारी में अवैध हथियार बरामद हुए हैं.
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने योगी सरकार से कासगंज हिंसा पर रिपोर्ट मांगी है.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बयान कहा है कि देश में ऐसी कोई घटना होती है तो गृह मंत्रालय रिपोर्ट मांगती है.
कासगंज की सांप्रदायिक हिंसा को लेकर केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने टिप्पणी की है.
उन्होंने कहा कि एक नौकरशाह ने भी 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' के नारे को लेकर कुछ टिप्पणी की है.
बता दें कि कासगंज घटना से जुड़े में फेसबुक पोस्ट को लेकर विवादों के घेरे में आये बरेली के डीएम कैप्टन राघवेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा है कि इस तरह की घटनाओं से मुश्किलें पैदा होती हैं, प्रदेश के विकास का काम बाधित होता है.
विक्रम सिंह ने फेसबुक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इसे फेसबुक वॅाल से हटा लिया. उन्होंने कहा, ''... बिना प्रशासनिक परमिशन के अगर कोई ऐसा काम होता है तो कितनी बड़ी समस्याएं पैदा हो जाती हैं ... इतना आक्रामक होना, पुलिस की परमिशन नहीं लेना, इससे बड़ी परेशानियां पैदा होती हैं . इन्हीं तकलीफों का बयान मैंने फेसबुक पर किया था.''
उन्होंने फेसबुक पर अपनी पहली पोस्ट में लिखा था:
इस बीच बीजेपी नेता विनय कटियार ने कहा कि कासगंज की घटना दु:खद है.
कटियार ने कहा कि तिरंगा रैली निकाले जाने के दौरान भड़की हिंसा में मारे गये चंदन की पाकिस्तान समर्थकों ने हत्या की है. खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि इस घटना का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.
योगी सरकार ने जिला एसपी सुनील कुमार सिंह को सोमवार को हटा दिया. इस बीच सोशल मीडिया पर जिस राहुल उपाध्याय की मौत की खबर वायरल हो रही थी, उसका खंडन करते हुए खुद राहुल ने कहा कि वो हिंसा के समय कासगंज में नहीं था. उपाध्याय ने कहा कि उसके किसी दोस्त ने इस अफवाह के बारे में उसे सूचित किया.
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