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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से ठीक पहले धर्म परिवर्तन (Conversion) को लेकर रोज नए बवाल सामने आ रहे हैं. हाल ही में यूपी एटीएस ने मेरठ से मौलाना कलीम सिद्दीकी को अवैध धर्म परिवर्तन के आरोप में उठाया था, उसके बाद अब नया मामला यूपी के वरिष्ठ IAS इफ्तेखारुद्दीन का सामने आया है.
दरअसल IAS इफ्तेखारुद्दीन (IAS Iftekharuddin) के कई कथित वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें कथित तौर पर धर्म परिवर्तन को लेकर बातचीत हो रही है. उसमें इस्लाम को लेकर स्पीच हैं, जिनमें कई उर्दू और अरबी के शब्दों का इस्तेमाल हुआ है. सोशल मीडिया (Social Media Viral) पर ये दावा किया जा रहा है कि इफ्तेखारुद्दीन के सामने हिंदू धर्म के खिलाफ बातें हो रही हैं और वो पास में ही बैठकर सुन रहे हैं. लेकिन उन वायरल वीडयो में आखिर क्या है और ये वीडिया कब के हैं?
इन वीडियो की हकीकत जानने के लिए हमने जब इन वीडियोज को ध्यान से देखा तो पता चला कि इनमें आखिर क्या बातचीत हो रही है. एक वीडियो में IAS इफ्तेखारुद्दीन स्पीच दे रहे हैं. उसमें वो कह रहे हैं कि, ''मोहम्मद साहब पूरे जहान के लिए अल्लाह के रसूल थे. उनके बाद किसी नबी को नहीं आना, वो आखिरी नबी हैं. तो दीन की दावत का काम कौन करेगा, जो अल्लाह पर ईमान रखता होगा, जो मोहम्मद साहब को रसूल मानता हो, उनके तरीके पर चलता हो, और जो उनकी उम्मत में है, जाहिर है ये फर्ज है कि उनके मिशन को आगे बढ़ाएं, इस काम को आगे बढ़ाएं.
उन्होंने अरब के खित्ते पर अल्लाह की बादशाहत कायम की. कहां की? सारी जमीन पर नहीं, अरब में की. लेकिन अभी अल्लाह के नूर को चमकाना है. यानि पूरी जमीन पर अल्लाह के नूर को फैलाना है. अल्लाह का निजाम दाखिल होना है तो कैसे होगा, यहां जितने इंसान बैठे हैं इनको ये करना चाहिए. नहीं करेंगे तो अल्लाह इनको जरूर पकड़ेगा.''
इसके अलावा एक और वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें IAS इफ्तेखारुद्दीन नीचे बैठे हैं और एक मौलवी तकरीर(भाषण) कर रहे हैं. सबसे ज्यादा बवाल इसी वीडियो पर हो रहा है. इसमें मौलवी किसी ऐसे शख्स की कहानी सुना रहे हैं, जो हिंदू से मुसलमान हुआ था.
इस कहानी में वो कहते हैं कि, ''अभी पिछले दिनों पंजाब के एक भाई ने इस्लाम कुबूल किया. तो मैंने उन्हें दावत नहीं दी थी. अलबत्ता हम जाते हैं और तबलीग में काम करते हैं तो उन्होंने इस्लाम कुबूल किया, मैंने कहा कि आपको इस्लाम कुबूल करने के लिए क्या चीज जरिया बनी तो उन्होंने कहा कि मेरी बहन की मौत. मैंने कहा बहन की मौत कैसे, जरा बताइए इसको. कहने लगे, जब उसको जला रहे थे तो जब कपड़ा जल गया और सब लोग देख रहे थे. मुझे बहुत शर्म आई और मैं वहां से निकल गया. फिर मेरे जहन में मालिक ने डाला कि आज तो मेरी बहन को लोग देख रहे हैं. मेरे बेटी भी है, इसको भी लोग देखेंगे बाद में, ये भी ऐसे ही जलेगी. तब मेरी समझ में आया कि इस्लाम से अच्छा कोई दीन नहीं है, मुझे कुबूल कर लेना चाहिए. फिर मैं ऐसे-ऐसे घूमता रहा, किसी ने कलमा नहीं पढ़ाया तो फिर आपके बारे में एक मुशर्रफ साहब ने बताया कि एक जीशान साहब हैं वो नगीना से आते हैं, वो आपको कलमा पढ़ा देंगे. तो कलमा पढ़ लिया.''
इस वीडियो में मौलवी आगे कहते हैं कि, कैसे-कैसे लोग इस्लाम कुबूल कर रहे हैं और कैसी-कैसी चीजें जरिया बन रही हैं लोगों को इस्लाम कुबूल करने के लिए. कई लोग तो बैठे हुए हैं काम नहीं कर रहे हैं, अल्लाह ने आपको ऐसी जगह, ऐसा सेंटर या यूं कहें कि ऐसा इस्लामिक स्टेट दे दिया है जहां से आप पूरी दुनिया के अंदर काम कर सकते हैं, कम से कम ये खित्ता जहां से आपका ताल्लुक रहा है, जहां लोग इकट्ठा हो रहे हैं. जहां लोग दीन से रूबरू हो रहे हैं, अल्लाह पाक ने ऐसी अच्छी-अच्छी जगह दी हैं जहां पूरा सेट बनवा दिया है.''
इस वीडियो के वारयल होने और तमाम तरह के दावों की तह तक पहुंचने के लिए क्विंट हिंदी की टीम ने ग्राउंड पर जाकर कुछ जानकारियां जुटाईं तो पता चला कि IAS इफ्तेखारुद्दीन काफी धार्मिक किस्म के इंसान हैं. चमक-दमक से दूर रहना पसंद करते हैं. वो कई बार धार्मिक आयोजन भी करवाते रहते हैं. इन आयोजनों में धार्मिक साहित्य भी बांटते हैं. इनमें उनका अपनी लिखी एक किताब भी है जिसकी तस्वीरें हमें मिली हैं.
IAS इफ्तेखारुद्दीन के नाम से लिखी हुई जो किताब सामने आई है उसे लेकर दावा किया जा रहा है कि वो उसे बांटते भी थे. किताब के कुछ हिस्से को पढ़ने से पता चलता है कि इसमें कुरआन की कुछ आयतों का अरबी से हिंदी में अनुवाद किया गया है. साथ ही उसमें मोहम्मद साहब को सर्वश्रेष्ठ नबी बताया गया है.
दरअसल सुन्नी मुसलमान में अलग-अलग स्कूल ऑफ थॉट को मानने वाले हैं. जैसे कि एक होते हैं बरेलवी और दूसरे देवबंदी, इनमें फर्क ये है कि बरेलवी सूफी इस्लाम को मानते हैं और मोहम्मद साहब को सारे नबियों में ऊपर रखते हैं. इसके अलावा बरेलवी मजार पर जाते और चादर चढ़ाते हैं. हालांकि देवबंदी पंथ के लोग भी मोहम्मद साहब को आखिरी नबी मानते हैं और उनके रास्ते पर चलने की बात करते हैं, लेकिन वे मजार पर चादर चढ़ाने जैसी प्रथा को सही नहीं मानते.
इस बात को लेकर दोनों स्कूल ऑफ थॉट के मानने वालों में विवाद काफी समय से चल रहा है. IAS इफ्तेखारुद्दीन की किताब में इस पर भी विस्तार से बात की गई है. बाकी कुरआन के कुछ हिस्सों का हिंदी में अनुवाद है जो बताता है कि अल्लाह ही सबसे श्रेष्ठ है.
ये वीडियो जो अब वायरल हो रहे हैं 2016-17 के बताए जा रहे हैं.तो एक सवाल ये भी इसे अब क्यों वायरल किया जा रहा है. यूपी में जल्द ही चुनाव हैं. ऐसे में कुछ लोग इस प्रकरण को चुनाव से भी जोड़ कर देख रहे हैं. बता दें कि इन वीडियोज को किसी मंदिर मठ समन्य समिति ने शेयर किया है और आपत्ति जताई है.
एक सवाल है कि क्या कोई अफसर सरकारी आवास में कोई धार्मिक आयोजन करा सकता है और करा सकता है तो कोई हद है? इन सवालों के जवाब विभागीय जांच के बाद मिल सकते हैं. IAS इफ्तेखारुद्दीन विभागीय जांच में दोषी पाए गए तो उनपर कार्रवाई हो सकती है और ऐसी चर्चा भी है. लेकिन फिर ये सवाल तमाम धर्मों के अफसरों और कर्मचारियों के सार्वजनिक रूप से धार्मिक आयोजनों में शामिल होने या अपने घर पर आयोजन कराने को लेकर भी लागू होता है. इससे पहले भी यूपी के थानों में जन्माष्टी मनाने से लेकर कावड़ियों पर अधिकारियों की फूल वर्षा तक की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं.
संविधान का अनुच्छेद-25 धर्म की स्वतंत्रता को लेकर दो प्रकार के अधिकार देता है. पहला है किसी भी धर्म को मानने का अधिकार और दूसरा है अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार. तो धर्म का प्रचार करने का अधिकार संविधान भी देता है.
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