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अगर आप उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) के 1090 चौराहे से लोहिया पथ पुल की तरफ बढ़ेंगे तो पुल के किनारे फुटपाथ पर इन कश्मीरी ड्राई फ्रूट्स विक्रेताओं की छोटी-छोटी दुकानें लगी हुई आप देख सकते हैं. रोज की तरह इस साल 2 फरवरी को भी फुटपाथ पर यह दुकाने लगी थीं और कुछ लोग खरीदारी कर रहे थे. तभी कार सवार तीन लोग यहां पहुंचते हैं और इन कश्मीरी व्यापारियों के ड्राई फ्रूट पैकेटस गोमती नदी में उठा कर फेंकना शुरू कर देते हैं.
वहां मौजूद खरीदारों ने भी सामान फेंके जाने को लेकर जब आपत्ति दर्ज की तो उनके साथ भी गाली गलौज हुई. वहां सामान खरीद रहे एक वकील द्वारा लिखित तहरीर दिए जाने की बात भी कही जा रही थी लेकिन अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है.
निवेश बुलाने के लिए उत्तर प्रदेश ने अपनी सुधरती कानून व्यवस्था के बारे में सबसे ज्यादा बढ़ चढ़कर बताया है.
ऐसे में अगर उत्तर प्रदेश में रोजी रोटी के लिए आए मुट्ठी भर कश्मीरी लोगों की सुरक्षा बार-बार दांव पर लग जाती है तो शासन प्रशासन पर सवाल उठेंगे और गलत संदेश भी जाएगा. यह पहला ऐसा वाकया नहीं है जब कश्मीरी उत्पीड़न का शिकार हुए हैं. 2019 में कुछ भगवाधारी उद्दंड लोगों ने इन कश्मीरी विक्रेताओं से मारपीट और गाली गलौज की थी.
कश्मीरी ड्राई फ्रूट विक्रेताओं के साथ हुए उत्पीड़न के कई मामलों में स्थानीय पुलिस का रवैया भी संतोषजनक नहीं रहा है. दबंगों द्वारा कथित रूप से सामान फेंके जानें के ताजे मामले में पुलिस ने अपने बयान में अभद्रता करने वाले लोगों को क्लीन चिट देते हुए कहा कि दुकानदारों के सामान फेंके जाने के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं.
साल 2019 के अंत में स्थानीय पुलिस द्वारा कश्मीरी ड्राई फ्रूट बेचने वालों के साथ अभद्रता का एक और मामला सामने आया था, जिसमें आरोप लगे थे कि पुलिस ने इन कश्मीरी दुकानदारों से मारपीट की और उनके आधार कार्ड छीने.
ताज्जुब ये है कि ताजा मामले के होने से ही इंकार किया जा रहा है जबकि ये बीच सड़क हुआ. ऑन कैमरा पीड़ित इसके बारे में बोल रहे हैं.
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