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उत्तर प्रदेश में कोरोना का ऐसा कोहराम है कि बेड, अस्पताल, ऑक्सीजन, टेस्टिंग की मारामारी है. इस बीच करीब 25 करोड़ की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश के गांव-शहर में पंचायत चुनाव भी चल रहे हैं. चार चरण में से तीन चरण हो चुके हैं. इन चुनावों में ड्यूटी कर रहे कई शिक्षकों के परिवारों का कहना है कि 'चुनाव और कोरोना' के इस डेडली कॉम्बिनेशन ने उनके अपनों को छीन लिया है. राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का दावा है कि यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान 135 ऐसे लोगों की मौत हुई है जो शिक्षक, शिक्षामित्र या अनुदेशक थे और चुनाव ड्यूटी पर थे. हाईकोर्ट ने अब इस केस में चुनाव आयोग को तलब कर लिया है. क्विंट हिंदी ने ऐसे ही तीन परिवारों से उनका दर्द जाना है.
गोंडा जिले के रविंद्र जायसवाल का निधन हाल ही में हुआ है. 19 अप्रैल को वो यूपी पंचायत चुनाव के लिए ड्यूटी में थे. उनकी पत्नी इंद्रावती देवी हमसे बातचीत में भोजपुरी में कहती हैं-
इस बीच वो कई बार फूट-फूटकर रोती हैं. कहती हैं मेरे बच्चों का क्या होगा समझ नहीं आ रहा है. सरकार अब हमारी कैसे भी मदद करे.
गोंडा जिले के प्राथमिक शिक्षामित्र संघ अध्यक्ष अवधेश मणि मिश्रा का कहते हैं कि जिले के तीन शिक्षामित्र भी कोरोना संक्रमण से जान गंवा चुके हैं. ये हैं कटरा विकास खंड के रविंद्र कुमार दूबे, विकास खंड झंझरी के दिनेश कुमार सिंह और कोठारी लाल वर्मा. अवधेश मणि मिश्रा का कहना है कि कई ऐसे हैं जो अब भी कोरोना पॉजिटिव हैं.
वाराणसी के रहने वाले अनंत कुमार राय का 23 अप्रैल को निधन हो गया. परिवार का कहना है कि वो इलेक्शन ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुए थे. अनंत की पत्नी बदहवासी की हालत में है. अनंत के ससुर आरएस राय बताते हैं-
बातचीत में आरएस राय फूटफूटकर रोने लगे. कहने लगे कि उनका पोता है वो काफी छोटा है, वो कैसे बिना पिता के रहेगा, बेटी का क्या होगा, मेरा तो पूरा परिवार बर्बाद हो गया.मीडिया पर भी आरएस राय जमकर भड़के.
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के वाराणसी जिलाध्यक्ष शशांक कुमार पांडेय कहते हैं कि अनंत राय इस संघ के पदाधिकारी के भी थे. अनंत की कोविड कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में ड्यूटी लगी थी और इलेक्शन ट्रेनिंग में भी भेज दिया गया. शशांक का आरोप है कि एक हजार लोगों की एक साथ ट्रेनिंग हुई. वहीं पर वो संक्रमित हुए होंगे और बाद में कोविड से और इलाज के अभाव में उनकी मौत हुई.
श्रावस्ती जिले के शशांक सिंह की पत्नी का निधन 17 अप्रैल को हुआ. शशांक का कहना है कि वो 14 अप्रैल तक चुनावी ड्यूटी में लगी रही थीं. प्रेग्नेंट थी और जुड़वा बच्चों की मां बनने वाली थीं लेकिन नहीं रहीं.
शशांक सिंह कहते हैं कि उनका तो परिवार ही खत्म हो गया, तीन हत्याएं हुईं हैं चुनाव ने उन्हें निगल लिया है. इस रिपोर्ट को तैयार करते वक्त एक बात कॉमन थी जो कई शिक्षकों ने कही कि चुनाव के वक्त अगर किसी मुसीबत में, बीमारी में छुट्टी मांगिए तो आपके वरिष्ठ इसे बहाना बताने लगते हैं. 'कहते हैं कि चुनाव के वक्त तो सबको दिक्कतें आने लगती है.'
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के श्रावस्ती जिलाध्यक्ष नीलमणि शुक्ला कहते हैं कि इस जिले में 5 लोग कोरोना और इलेक्शन के समीकरण के शिकार हुए हैं. उनके परिवारों को कौन संभालेगा? नीलमणि शुक्ला भी वही मांग दोहराते हैं इन परिवारों को 50 लाख रुपये की मदद और अनुकंपा नियुक्ति राज्य सरकार की तरफ से जल्द से जल्द दी जानी चाहिए. शुक्ला का कहना है कि इससे जाने वाले का गम नहीं खत्म होगा लेकिन परिवार को इंसानियत के नाते थोड़ी राहत तो मिल जाएगी.
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का प्रदेश के 75 जिलों में नेटवर्क है और 1 लाख से ज्यादा की सदस्यता है. इस महासंघ के प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्रा ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि अलग-अलग जिलों में कुल 136 शिक्षक / शिक्षामित्र / अनुदेशक की मौत चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमित हो जाने के वजह से हुई. महासंघ के प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्रा का कहना है कि 27 मार्च को ही चुनाव से पहले शिक्षकों के वैक्सीनेशन की मांग की गई थी लेकिन राज्य सरकार की तरफ से ध्यान नहीं दिया गया.
शिक्षकों की ड्यूटी इस कोरोना वायरस के दौर में हर चीज के लिए लगाई जा रही है. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग से लेकर ड्यूटी तक, लेकिन इन्हें वैक्सीन नहीं दी गई और अब अलग-अलग जिलों से ये मौत की खबरें हमारे सामने आ रही हैं.- वीरेंद्र मिश्रा, प्रवक्ता , राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने अपना लेटर मुख्यमंत्री के साथ ही साथ बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सतीश द्विवेदी को भी भेजा है. क्विंट हिंदी ने ये जानना चाहा कि सतीश द्विवेदी को ये लेटर मिला है कि नहीं और इस पर उनकी क्या प्रतिक्रिया है.
कुल तीन बार उनके आवास पर फोन किया गया. पहली बार जिसने फोन उठाया, वो खुद को उनका सिक्योरिटी बता रहे थे, उनका कहना था कि अभी मंत्री जी हैं नहीं, आधे घंटे बाद कॉल कीजिए.
आधे घंटे बाद फिर कॉल की गई तो कॉल होल्ड पर डाला गया और एक दूसरे शख्स ने बात की जो बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री के पीआरओ खुद को बता रहे थे, उन्हें ये बताया गया कि लेटर को लेकर और प्रतिक्रिया को लेकर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री से बात करनी है, बैकग्राउंड में पीआरओ ने यही बात किसी और को बताया और फिर फोन कट हो गया. कुल मिलाकर हमारी बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री से नहीं हो सकी है.
लेकिन अगर हो भी जाती तो ये जो पीड़ित हैं उनका दर्द कम नहीं हो जाता. इनके अपने तो चले गए अब इन्हें मदद की आस है.
बता दें कि 26 मार्च को यूपी चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ था. उस दिन प्रदेश में 1026 कोरोना वायरस केस आए थे. 26 अप्रैल को तीसरे चरण की वोटिंग हैं और एक महीने पूरे हो गए हैं. आज एक दिन में 33,574 कोरोना वायरस केस सामने आए हैं
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