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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में शुक्रवार को विधानसभा कोर्ट में बदल गई. दरअसल, 2004 में एक विधायक पर हुए कथित लाठीचार्ज के मामले की सुनवाई करते हुए स्पीकर ने 6 पुलिसवालों को एक दिन की सजा सुनाई.
वैसे तो शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन हर नागरिक का अधिकार है, वहीं पुलिस को भी शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी बल का अधिकार रहा ही है. स्वाभाविक तौर पर गलत तरीके से कानूनी बल का उपयोग या हिंसक प्रदर्शन, दोनों ही स्थितियों में दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए.
लेकिन अक्सर हम देख रहे हैं कि सामान्य नागरिक प्रदर्शनों पर जमकर पुलिसिया बल का इस्तेमाल किया जाता है, स्पीकर द्वारा सजा सुनाए जाने का मामला तब और एक अनोखी बात हो जाती है जब एक 16 साल पुराने मामले में पुलिसवालों को सजा हो गई, जबकि देश और प्रदेश में ही धरना प्रदर्शन पर गंभीर धाराएं लगा दी जाती हैं, लोगों को कई महीनों तक जेल में सड़ाया जाता है. यहां ऐसे ही कुछ मामलों की चर्चा है.
पंचकूला-चंडीगढ़ रोड पर हरियाणा में ई-टेंडरिंग को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले 3 दिन से प्रदेश भर के सरपंच प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने हिरासत में लेकर प्रदर्शन स्थल खाली करवा दिया. साथ हाउसिंग बोर्ड चौक पर लगे टेंट उखाड़ दिए.
केंद्र सरकार के तीन कृषि बिल के विरोध में किसानों ने 26 नवंबर 2020 से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन शुरू किया. ये आंदोलन करीब 378 दिन तक चला और 9 दिसंबर 2021 को समाप्त हुआ. आंदोलन में कई हजार किसान शामिल हुए और कई की मौत हुई. प्रदर्शन करने वाले कई किसानों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार भी किया.
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद पर दिल्ली दंगों में साजिश का आरोप में न्यायिक हिरासत में है. साल 2020 के फरवरी में CAA-NRC के विरोध में उत्तर पूर्व दिल्ली में हुए दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया था. पुलिस ने उमर खालिद को मुख्य आरोपी बताते हुए UAPA और IPC की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.
नताशा नरवाल और देवांगना कलिता,दोनों JNU की पूर्व छात्रा हैं. इन पर 2020 में दिल्ली में हुए दंगों को लेकर UAPA के तहत मुकदमे दर्ज हैं. दिल्ली पुलिस की चार्जशीट कहती है कि दंगे के पीछे इनकी व अन्य आरोपियों की साजिश थी.हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों को जमानत देते हुए कहा "विरोध करने का अधिकार संवैधानिक है" और इस अधिकार को "गैरकानूनी" और UAPA के तहत आतंकी गतिविधि नहीं कहा जा सकता.
असम के निर्दलीय विधायक और किसान नेता अखिल गोगोई पर NIA ने UAPA के तहत मुकदमा दर्ज किया है.उन पर CAA को लेकर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप लगा है. साथ ही नागरिकता कानून का विरोध कर रहे लोगों को भड़काने का आरोप भी अखिल गोगोई पर लगाया गया है. फिलहाल गोगोई जमानत पर बाहर हैं.
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