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UP: योगी सरकार 100 दिनों में दिलाएगी महिला और बाल अपराध के 1000 दोषियों को सजा

अक्टूबर 2020 से लेकर अब तक महिला और बाल अपराध के 31दोषियों को फांसी, 1087 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई

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महिला और बाल सुरक्षा किसी भी सरकार के लिए कानून व्यवस्था के लिहाज से सबसे संवेदनशील मुद्दा होता है. चाहे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में इस समय योगी सरकार हो या पूर्ववर्ती सरकारें, महिला और बाल सुरक्षा के बिगड़े हालात से कई बार तीखी आलोचनाओं का शिकार हुई हैं. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्नाव और हाथरस में हुए महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों से बिगड़ते कानून व्यवस्था का ज्वलनशील मुद्दा एक बार फिर उभर कर सामने आया था.

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जहां इन अपराधों को रोकने के लिए योगी सरकार कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ महिलाओं और बाल अपराध के मुकदमों में अभियुक्तों को कड़ी सजा दिलाने के लिए पुलिस और अभियोजन के बीच बेहतर तालमेल और सामंजस्य बिठाने की कोशिश की जा रही है.

दूसरे कार्यकाल के 100 दिन के एक्शन प्लान की बात करें तो इसमें 1000 ऐसे अभियुक्तों को सजा दिलाने का लक्ष्य रखा गया है.

अधिकारियों की मानें तो महिला और बाल अपराध जैसे संवेदनशील मुकदमों में कई बार ऐसा देखा गया कि लचर पैरवी की वजह से या तो केस कई साल तक अदालत में लंबित रहते हैं या उसमें साक्ष्य ना मिलने की वजह से अभियुक्त को कड़ी सजा नहीं मिल पाती थी. बदहाल स्थिति को बदलने के लिए सरकार ने जिले की पुलिस और सरकारी अभियोजन के साथ समन्वय मीटिंग शुरू की जिसके सार्थक नतीजे देखने को मिले.

गैंगस्टर एक्ट के 1414 मामलों में सजा सुनाई गई

सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों की अगर बात करें तो-

अक्टूबर 2020 से लेकर अब तक महिला और बाल अपराध के 31अभियुक्तों को फांसी की सजा दिलाई गई वहीं 1087 अभियुक्तों को न्यायालय ने आजीवन कारावास से दंडित किया है. आंकड़ों के अनुसार इसमें 1315 ऐसे अभियुक्त हैं जिनको 10 साल या उससे अधिक के कारावास की सजा भी न्यायालय ने सुनाई है.

अपनी पीठ थपथपाते हुए सरकार ने दावा किया है कि जनवरी 2020 से लेकर नवंबर 2021 तक भारतीय दंड विधान के अंतर्गत दर्ज 1,58,864 और अन्य अधिनियम में दर्ज 6,93,443 मुकदमों में निर्णय सुनाया गया है.

इनमें पोक्सो अधिनियम के 1619 मामलों में, गैंगस्टर एक्ट के 1414 मामलों में, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के 1613 मामलों में, बलात्कार के 503 मामलों में सजा सुनाई गई है.

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