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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj) में बढ़ते मॉनसून के कारण गंगा नदी के किनारे दफ्न शव (Dead Bodies) अब बाहर तैरने लगे हैं. पानी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही नदी के किनारे बालू के टीले ढहने लगते हैं, जिसके बाद बड़ी संख्या में शव बाहर आ गए हैं. इनमें COVID रोगियों के शव होने की भी आशंका है.
पिछले दो दिनों में प्रयागराज के अलग-अलग घाटों पर स्थानीय पत्रकारों द्वारा वीडियो और तस्वीरों में दिखा गया है कि कैसे अधिकारी शवों को नदी किनारे से बरामद कर रहे हैं.
बुधवार, 23 जून को ली गई एक तस्वीर में नदी के किनारे एक शव दिख रहा था, जिसके हाथ में सफेद रंग का सर्जिकल ग्लवस था और भगवा रंग के चुनरी से ढके हुए कब्र से बाहर आ गया था. बाद में प्रयागराज नगर निगम की टीम ने शव को बाहर निकाला.
इसी तरह, एक और घाट का वीडियो सामने आया है, जिसमें दो लोग नदी से एक कपड़े से ढ़के शव को बाहर निकालते हैं और रेत के किनारे पर रखते हैं.
प्रयागराज नगर निगम के एक जोनल अधिकारी नीरज कुमार सिंह ने एनडीटीवी को बताया,
नीरज कुमार ने मीडिया को बताया कि उन्होंने पिछले 24 घंटों में 40 शवों का अंतिम संस्कार किया है.
एक बॉडी जिसके मुंह में ऑक्सीजन ट्यूब लगी थी उसके बारे में पूछने पर अधिकारी कहते हैं कि ऐसा लगता है कि वह व्यक्ति मृत्यु से पहले बीमार था.
नीरज कुमार कहते हैं,
उन्होंने कहा कि सभी शव क्षत-विक्षत नहीं थे और कुछ की स्थिति से संकेत मिलता है कि उन्हें हाल ही में दफनाया गया था.
प्रयागराज की महापौर, अभिलाषा गुप्ता नंदी, जिन्हें नदी के किनारे दाह संस्कार में मदद करते हुए देखा गया था, वो कहती हैं कि राज्य में कई समुदायों द्वारा दफनाने की एक लंबी परंपरा रही है. उन्होंने कहा, "जहां भी हमें नदी में उफान के कारण उजागर शव मिलते हैं, हम दाह संस्कार कर रहे हैं."
उन दृश्यों ने न केवल श्मशान की अक्षमता को उजागर किया, बल्कि इस संदेह को भी जन्म दिया कि COVID मौतों की सही रिपोर्ट दर्ज नहीं की जा रही थी.
हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बात से इनकार किया कि नदी के किनारे रेत पर बनी कब्रों का महामारी से कोई लेना-देना है और दावा किया कि नदी के किनारे दफनाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है.
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