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सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमीशन (सीआईसी) ने बैंक लोन न चुकाने वाली बड़ी इकाइयों के नाम सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत न बताने को लेकर आरबीआई गवर्नर को कारण बताओ नोटिस भेजा है.
सीआईसी ने इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और आरबीआई से कहा है कि वो फंसे हुए लोन पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का लेटर सार्वजनिक करें.
आयोग का मानना है कि विलफुल डिफॉल्टर की लिस्ट जारी न करके आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना की है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में 50 करोड़ या इससे ज्यादा का लोन जानबूझकर नहीं चुकाने वालों के नामों का खुलासा करने के लिए कहा था. लेकिन नामों का खुलासा न करने पर सीआईसी ने कड़ी नाराजगी जताई है. आयोग ने आरबीआई से इस संबंध में 16 नवंबर से पहले जवाब देने के लिए कहा है.
सीआईसी ने कारण बताओ नोटिस में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना करने के लिए क्यों न उन पर ज्यादा से ज्यादा जुर्माना लगाया जाए.
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा, ‘‘आयोग का मानना है कि आरटीआई नीति को लेकर जो आरबीआई गवर्नर, डिप्टी गवर्नर कहते हैं और जो उनकी वेबसाइट कहती है उसमें कोई समानता नहीं है."
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