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G20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) को लेकर पूरी दिल्ली तैयार है. 9 और 10 सितंबर को G20 सम्मेलन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक समेत कई राष्ट्रों के प्रमुख भारत में मौजूद होंगे. इसे देखते हुए राजधानी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. 8 सितंबर की शाम 6.55 बजे तक जो बाइडेन की दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है. दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति भारत पहुंच रहे हैं तो सुरक्षा इतनी कड़ी रहेगी कि एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता है. चलिए जानते हैं कि उनकी सुरक्षा के क्या इंतजाम होते हैं और इसको लेकर क्या प्रोटकॉल है?
अमेरिकी सीक्रेट सर्विस 1865 में बनी थी. 1901 में राष्ट्रपति विलियम मैककिनले की हत्या के बाद इस एजेंसी को राष्ट्रीय नेताओं, उनके परिवारों के सुरक्षा का जिम्मा दिया गया. इस एजेंसी का मुख्य काम प्रमुख राजनीतिक हस्तियों और सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा करना है. इसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, उनके परिवार और दौरे पर आए विदेशी राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है.
इसके अलावा, ये राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के उम्मीदवार की भी सुरक्षा करते हैं. एजेंसी में लगभग 7000 हजार एजेंट और ऑफिसर काम करते हैं. जिसमें महिलाएं भी होती हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा से जुड़ा हर फैसला सीक्रेट सर्विस लेती है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति को विदेश दौरा पर जाना होता है, तो सुरक्षा एजेंसी उनकी सुरक्षा की तैयारी 3 महीने पहले से शुरू कर देती है.
सबसे अंदर के लेयर में प्रोटेक्टिव डिविजन एजेंट
फिर बीच में सीक्रेट सर्विस एजेंट्स
सबसे बाहर वाले लेयर में अमेरिकी पुलिस होती है
जो बाइडेन दिल्ली आ रहे हैं तो उनके सुरक्षा कवच में एक और लेयर होगी. सबसे बाहरी लेयर में दिल्ली पुलिस और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स तैनात होगी.
राष्ट्रपति के दौरे से पहले सीक्रेट सर्विस और व्हाइट हाउस का स्टाफ लोकल सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर राष्ट्रपति के ठहरने की जगह तय करती है. राष्ट्रपति के रुकने की जगह की भी गहरी छानबीन होती है और सीक्रेट सर्विस के क्लीयरेंस के बाद ही वहां राष्ट्रपति ठहरते हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति अपने आधिकारिक 'एयरफोर्स वन प्लेन' से ही यात्रा करते हैं. उसके साथ ही, 6 बोइंग सी 17 विमान उड़ते हैं. इनमें हेलिकॉप्टर, बुलेटप्रूफ कारों का काफिला, अन्य एजेंट और कई स्टाफ मेंबर होते हैं.
सीक्रेट एजेंसी ही राष्ट्रपति की काफिले के रूट तय करते हैं. वे यह भी तय करते हैं कि कैसे आपात स्थिति में राष्ट्रपति को सुरक्षित रखा जा सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति के विदेश दौरे के पास आते ही सीक्रेट सर्विस एजेंट उनकी कारों के काफिले के रूट में पड़ने वाले हर एक स्टॉप की जांच करते हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी-अपनी लिमोजिन कार 'बीस्ट' से ही आयोजन स्थल पर पहुंचते हैं. इसे दुनिया की सबसे सुरक्षित और महंगी कार माना जाता है. 'बीस्ट' किसी तरह के हमले को झेल सकती है.
ये कार बुलेटप्रुफ है और इसमें कई डिफेंसिव उपकरण और तकनीकें लगी होती है-जैसे स्मोक स्क्रीन्स, नाइट विजन तकनीक, केमिकल अटैक से सुरक्षा और ग्रेनेड लॉन्चर और टियर गैस.
इसके अलावा, खास बात यह भी है कि ड्राइवर ऐसे ट्रेंड होते हैं कि किसी हमले के समय गाड़ी को एकदम उल्टी दिशा यानी 180 डिग्री टर्न ले लें.
इसके अलावा, सीक्रेट सर्विस के पास और भी जिम्मेदारी होती है. राष्ट्रपति के साथ हर वक्त रहने वाले सेना के उस व्यक्ति को भी सुरक्षित रखना होता है, जिसके पास यूएस न्यूक्लियर मिसाइल को लॉन्च करने वाला ब्रीफकेस होता है. इस ब्रीफकेस के जरिए ही कहीं से भी अमेरिका अपनी परमाणु मिसाइलें लॉन्च कर सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जहां रुकते हैं, होटल में उनका पूरा फ्लोर खाली होता है. सुरक्षा के इतने कड़े इंतजाम होते हैं कि टीवी और होटल के फोन भी हटा दिए जाते हैं. होटल के पास पार्क की गई गाड़ियों को भी हटाया जाता है. खिड़कियों पर भी बुलेट प्रूफ शील्ड लगा दी जाती है.
अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ विदेश दौरे पर उनका कुकिंग स्टाफ भी जाता है, वही खाना बनाते और परोसते हैं.
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