G20 Explainer: नई दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन होना है. दुनिया के कई छोटे-बड़े देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या फिर राष्ट्राध्यक्ष इसमें शामिल होने वाले हैं.
लेकिन, आपके मन में एक सवाल होगा कि आखिर ये जी20 है क्या? हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि G20 को बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? किसने बनाया, कब बनाया, ये जी20 करता क्या है, इसका कोई बड़ा प्रभाव पड़ता भी है या नहीं, ये काम कैसे करता है, इससे भारत को क्या फायदा होगा? जी20 में कौन कौन से देश शामिल हैं, और यहां 'G' का मतलब क्या है?
पहले ये जान लीजिए कि G20 - 20 देशों का समूह है जिसमें 'जी' से मतलब ग्रुप है.
आत्मनिर्भरता के दौर में ग्रुप की जरूरत क्यों?
आज सभी देश आगे बढ़ रहे हैं, भारत में भी आत्मनिर्भरता का नारा बुलंद है तो फिर ये देश मिलकर गुट, या ग्रुपिंग क्यों करते हैं?
दरअसल दुनिया में हर प्रकार के संसाधन हर देश के पास नहीं है और एक दूसरे से इन संसाधनों को आसानी से साझा किया जा सके इसलिए समूह बनाने की जरूरत पड़ती है. फिर कई गंभीर मुद्दे, एक ही समय पर दुनिया के देशों को परेशान करते हैं. जैसे कोरोना, तब मामला ग्लोबल हो जाता है, इसलिए समूह बनाकर ही मुद्दों को सुलझाया जाता है.
जैसे वैक्सीन के वक्त हुआ, वैक्सीन की कमी थी लेकिन देशों के समूह ने मिलकर वैक्सीन की पहुंच को आसान बनाया.
लेकिन UN, BRICS, ASEAN, G7 देशों के समूह तो पहले से ही है, फिर G20 क्यों?
दुनिया में पहले से ही कई समूह है
ये बात सही है कि दुनिया में पहले से ही UN, BRICS, ASEAN, G7 जैसे कई सारे समूह है. लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि इनमें कुछ न कुछ खामियां है. जैसे UN को लेकर कहा जाता है कि यहां अमेरिका समेत कुछ पश्चिम के देशों का वर्चस्व है, तो G7 में केवल बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश हैं (जिसमें रूस को बाहर कर दिया गया), तो BRICS में केवल विकासशील देश हैं - विकसित नहीं.
इसलिए ये हर पैमाने पर खरे नहीं उतरते.
G20 क्या है?
20 देशों का समूह जो आर्थिक मुद्दों के साथ साथ बाकी मुद्दों पर भी फोकस करता है.
हर साल किसी एक देश को इसकी जिम्मेदारी दी जाती है. 2023 में इसकी कमान भारत के हाथ में है. यानी 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक भारत इसकी अध्यक्षता करेगा.
जी20 की अध्यक्षता करने वाला देश इस सम्मेलन का एजेंडा तय करता है, अलग-अलग मुद्दों पर, सेक्टर्स पर बैठकें करता है.
जी20 UN की तरह कोई औपचारिक गुट नहीं है, इसलिए इसका कोई मुख्यालय नहीं है. साथ ही इस सम्मेलन में लिए गए फैसलों को मानने की बाध्यता भी नहीं होती, ये जी20 देशों पर निर्भर करता है कि उन फैसलों को उसे लागू करना है या नहीं.
जी20 की अध्यक्षता जिसके पास होती है वही देश इसका थीम, एजेंडा और लोगो तय करता है. यानी ये हर साल बदलते हैं.
कैसे और क्यों बना G20?
जी20 बनने की कहानी शुरू होती है एक वित्तीय संकट से. 1997 में बैंकिंग संकट शुरू हुआ. ये संकट ईस्ट एशिया के देश थाईलैंड से शुरू हुआ. धीरे धीरे इस बैंकिंग संकट ने दुनिया के कई देशों को अपना शिकार बनाया.
उधर 1999 जर्मनी में जी7 देशों की बैठक चल रही थी. इसमें सातों देश विकसित देश हैं. इन्होंने पाया कि ऐसे बैंकिंग संकट से निपटने के लिए केवल विकसित देश ही काफी नहीं है. इसलिए यहां तय किया गया कि केवल आर्थिक नीतियों को कोऑर्डिनेट करने के लिए एक और समूह की जरूरत है जिसमें विकासशील देशों को भी शामिल किया जाए.
अब चूंकी बैंकिंग संकट भी एक विकासशील देश थाईलैंड से निकला था. तब 1999 से 20 देशों को जोड़ा गया और जी20 बनाया गया.
लेकिन तब इसमें 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल नहीं होते थे. चूंकी इस समूह को वित्तीय संकटों से बचाने के लिए बनाया गया था, इसलिए इसमें इन 20 देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर शामिल होते थे.
फिर कब से शामिल होने लगे राष्ट्राध्यक्ष?
2008 में अमेरिका की सबसे बड़ी वित्तीय कंपनी लीमन ब्रदर्स दिवालिया हो गई, जिसके बाद दुनियाभर में बड़ा फाइनेंशियल क्राइसिस आया.
2008 में अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने सुझाव दिया कि जी20 के मंच पर अब सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष को बुलाया जाए ताकी मजबूती से फैसले लिए जा सके.
बस, 2008 को जी20 का एक बार और जन्म हुआ और तब से इस सम्मेलन का मुख्य फोकस आर्थिक संकट से जूझने के साथ साथ बाकी संकटों पर भी ध्यान देने तक बढ़ाया गया.
इसके बाद हर साल जी20 की बैठके होने लगी.
G20 में कौन से देश शामिल हैं?
समूह का नाम जी20 है तो जाहिर है इसमें 20 देश शामिल हैं:
अमेरिका (USA)
कनाडा
ब्राजील
मैक्सिको
अर्जेंटीना
यूनाइटेड किंडम (UK)
इटली
फ्रांस
जर्मनी
यूरोपीयन यूनियन (यूरोप के 27 देश)*
दक्षिण अफ्रीका
सऊदी अरब
इंडोनेशिया
तुर्किए (तुर्की)
भारत
रूस
चीन
दक्षिण कोरिया
जापान
ऑस्ट्रेलिया
*यहां यूरोपीयन यूनियन में शामिल फ्रांस, इटली और जर्मीनी को अलग बताया गया है क्योंकि ये यूरोप की एडवांस इकॉनमी है
G20 खास क्यों हैं?
जी20 क्या है और ये कैसे बना, इससे पहले आपको बताते हैं ये खास क्यों हैं?
जी20 में 7 विकसित और 12 विकासशील देश और यूरोपीयन यूनियन (यूरोप के 27 देश) शामिल हैं.
विकसित (Developed): वो देश जहां भरपूर विकास हो चुका है, लोगों की आय ज्यादा है, इंफ्रा अच्छा, आबादी ठीक ठाक है. विकासशील (Developing): वो देश जो अभी भी विकास कर रहे हैं, जहां लोगों की आय ज्यादा नहीं है, इंफ्रा ठीक ठाक है, आबादी ज्यादा है.
जी20 में अर्थव्यवस्था के आधार पर दुनिया की 10 बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं.
दुनिया की कुल जीडीपी में जी20 देशों का 80% योगदान है.
दुनिया में होने वाला 75% कारोबार जी20 देशों के बीच ही होता है.
एरिया के आधार पर देखें तो दुनिया के 8 बड़े देश इसमें शामिल है और जी20 देशों का कुल एरिया 60% दुनिया को कवर करता है, यानी जहां ज्यादा आबादी, वहां बड़ा बाजार और मुनाफा ज्यादा.
आबादी के आधार पर दुनिया के 4 ऐसे देश जी20 में शामिल हैं जहां आबादी सबसे ज्यादा है, दुनिया की 65% आबादी जी20 का हिस्सा है.
संयुक्त राष्ट्र की सबसे ताकतवर इकाई UNSC में वीटो का अधिकार रखने वाले पांचों देश (अमेरिका, यूके, चीन, रूस और फ्रांस) जी20 का हिस्सा हैं.
जी20 में अमेरिका भी है और इसके दुश्मन माना जाने वाले रूस और चीन भी हैं, उधर दक्षिण कोरिया भी है तो उसका दुश्मन माना जाने वाला देश जापान भी है.
G20 कैसे काम करता है?
जी20 का अध्यक्ष ही इसका एजेंडा तय करता है लेकिन उसे इसमें दो अन्य देशों को भी शामिल करना होता है.
एजेंडा को तय करने का जिम्मा ट्रॉयका के पास होता है.
ट्रॉयका तीन देशों से मिलकर बनता है. पहला वो देश जो पिछले साल जी20 का अध्यक्ष था यानी इंडोनेशिया. दूसरा, वो देश जो वर्तमान में जी20 का अध्यक्ष है यानी भारत और तीसरा वो देश जो अगले साल जी20 का अध्यक्ष होगा यानी ब्राजील.
कैसे काम करता है जी20?
जी20 तीन ट्रैक्स पर काम करता है:
पहला, फाइनेंस. इसके लिए जी20 देश आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं, इसमें बैंकिंग, टैक्स, आर्थिक नीति और तमाम तरह की चर्चा होती है. इस बैठक में केवल जी20 दोशों के वित्त मंत्री, जी20 देशों के केंद्रीय बैंकों के गवर्नर और आर्थिक संस्थान जैसे विश्व बैंक, आईएमएफ के सदस्य शामिल होते हैं. ये बैठक साल में 6 बार होती है.
दूसरा, शेरपा ट्रेक. इसके अलावा शेरपा बैठकें करते हैं. जी20 देशों के शेरपा अपने-अपने देशों के राष्ट्राध्यक्षों के प्रतिनिधी होते हैं. चूंकी साल भर होने वाली बैठकों में हर देश के राष्ट्राध्यक्ष शामिल नहीं हो सकते इसलिए शेरपा उनका प्रतिनिधित्व करते है और अपने राष्ट्राध्यक्ष को अपडेट करते हैं. भारत के शेरपा नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत हैं.
बता दें कि शेरपा अपनी बैठकों में कृषि, एंटी करप्शन, जलवायु परिवर्तन, डीजिटल इकॉनमी, शिक्षा, रोजगार, ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, पर्यटन, व्यापार और निवेश जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हैं.
तीसरा, अनौपचारिक (अनऑफिशियल) बैठक. इनमें देश की सिविल सोसाइटी और बाकी एंगेजमेंट ग्रुप शामिल होते हैं. ये मिलकर Business20, Civil20, Labour20, Parliament20, Science20, SAI20, Startup20, Think20, Urban20, Women20, और Youth20 जैसी बैठके आयोजित कर संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हैं.
इतने मुद्दों पर चर्चाएं होती है इसलिए ये बैठकें साल भर आयोजित की जाती है. आपको ध्यान होगा कि जी20 की इससे पहले कश्मीर, गोवा, राजस्थान और बाकी राज्यों में भी बैठकें हो चुकी हैं.
बता दें कि जी20 ने अंतराष्ट्रीय व्यापार को लेकर अच्छे फैसले लिए, स्वास्थ्य क्षेत्र में काम किया, जलवायु समेत कई मुद्दो पर सफलता हासिल की, 2008 में आई आर्थिक मंदी से निपटा, ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम, सीरिया का सिविल वॉर और कोरोना में जी20 ने वैक्सीन डिप्लोमेसी पर सफलता हासिल की है.
क्या है जी20 का मुख्य आर्थिक एजेंडा?
जी20 में ऐसे तो कई मुद्दों पर चर्चा होती है, लेकिन जी20 का जन्म आर्थिक चुनौतियों से लड़ने के लिए हुआ था. इस बार जो भारत ने मुख्य आर्थिक एजेंडा तय किया है, वह भारी कर्ज में फंसे देशों की समस्याओं को सुलझाने का है.
दुनिया में कई देश डेट ट्रैप यानी कर्ज के जाल जैसे आर्थिक संकट पर में फंसे हैं. दुनिया में विश्व बैंक और IMF के से भी बड़ा अब चीन बन गया है जो सबसे ज्यादा कर्ज बांटता है. IMF के अनुसार अफ्रीका के 40 देश आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं जिनमें से 20 देशों को चीन ने कर्ज दिया है.
इसके अलावा हमने श्रीलंका को डिफॉल्ट होते हुए देखा, पाकिस्तान डिफॉल्ट के करीब है और भी कई देश आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. अगर ये देश आर्थिक रूप से बेहतर होंगे तो विश्व को प्रगति करने में आसानी होगी जिसका लाभ हर देश को मिलेगा.
जी20 बैठक में और क्या खास है, भारत को क्या फायदा है?
पहला, जी20 की बैठक ऐसे दौर में हो रही है जब रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी है. इसके चलते देश कई गुटों में बंट रहे हैं, जिसका नुकसान कई देशों को उठाना पड़ रहा है. ऐसे में ये भी चर्चा का विषय बनेगा.
दूसरा, जी20 बैठक के साथ साथ कई देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी होती है. जैसे अमेरिका और भारत की आमने-सामने बैठक होगी जिसमें वे अपने रिश्तों को और मजबूत बनाने की और काम करेंगे. इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन जी20 बैठक से दो दिन पहले भारत आ रहे हैं.
तीसरा, जी20 की अध्यक्षता कर रहे देश को जी20 के अलावा कुछ अन्य देशों को आमंत्रण देने का भी अधिकार होता है. जैसे भारत ने इस बार इजिप्ट, बांग्लादेश, मॉरिशियस, नीदरलैंड्स, ओमान, नाईजीरिया, सिंगापौर, स्पेन, यूएई को आमंत्रित किया है. भारत को इनसे रिश्ते मजबूत करने का मौका मिलेगा.
चौथा, जी20 का विस्तार भी एजेंडे में शामिल हैं. बैठक में अफ्रीका के कई और देशों को जी20 में शामिल करने की कवायद होगी. अगर इन देशों को शामिल कर लिया जाता है तो जी20 और ज्यादा मजबूत बनेगा. ये विस्तार भी पहली बार होगा.
पांचवा, जी20 के जरिए भारत विश्व की राजनीति में ऊपर आने की कोशिश करेगा, वह विश्व राजनीति की दिशा तय करने का प्रयास करेगा. इसके जरिए वह ग्लोबल साउथ का पावर बन सकता है (जो चीन भी बनने की कोशिश में है).
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