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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में कहा कि भारत और अमेरिका को भारतीय उपमहाद्वीप और भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के लिए संयुक्त रूप से चीन के खतरों का सामना करने की जरूरत है. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच नई दिल्ली में तीसरी भारत-अमेरिका 'टू प्लस टू' वार्ता के दौरान पोम्पेयो ने चीन के वुहान प्रांत से शुरू हुई कोरोना महामारी को हराने पर सहयोग सहित अन्य कई अहम मुद्दों पर चर्चा की.
इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खतरों का सामना करने, पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए भी बातचीत हुई. अमेरिकी सरकार के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सुरक्षा संबंधी खतरे का मुद्दा उठाया, जिसका भारत चीन से सामना कर रहा है. उन्होंने द्विपक्षीय वार्ता में कहा, "रक्षा के क्षेत्र में हमें अपनी उत्तरी सीमाओं पर अंधाधुंध आक्रामकता से चुनौती मिली है."
पोम्पियो ने अपने भारतीय समकक्ष से कहा, "एक मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए हमारी दोस्ती और प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से उच्च स्तर पर है, जब हम इस महीने की शुरुआत में क्वाड बैठक के लिए टोक्यो में थे और मंत्री जयशंकर और मैं अपने ऑस्ट्रेलियाई और जापानी दोस्तों के साथ थे."
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, "आज हमारे जैसे दो महान लोकतंत्रों के लिए वास्तविक अवसर है कि हम और अधिक बढ़ सकें, जैसा कि मैंने पिछले साल अपनी भारत यात्रा पर कहा था, जब मैंने अपने संबंधों में एक नई उमंग पैदा करने का आह्वान किया था. मुझे लगता है पिछले एक साल में इस पर काम किया गया है. इसे सुनिश्चित करने के लिए और भी बहुत अधिक काम किया जाना है."
उन्होंने कहा, "भारत और अमेरिका मिलकर हमारे लोगों को हमारे साझा मूल्यों और हमारी संस्कृतियों, हमारे रक्षा संबंधों, वैज्ञानिक सहयोग और आपसी समृद्धि पर आधारित एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर रहे हैं. मैं 21वीं सदी में लोकतांत्रिक देशों की परिभाषित साझेदारी के निर्माण के लिए आपके नेतृत्व साथ ही आप सभी को धन्यवाद देता हूं."
अमेरिकी विदेश विभाग के बयान के अनुसार, अपने समकक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक में रक्षा मंत्री मार्क टी. एस्पर ने मंगलवार को पहली अमेरिका-भारत डिफेंस फ्रेमवर्क की 15वीं वर्षगांठ के रूप में चिह्न्ति किया.
उन्होंने कहा, "हमने तब से अपनी रक्षा और सुरक्षा साझेदारी को काफी मजबूत किया है, खासकर पिछले एक साल में, जिसके दौरान हमने अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा, सैन्य-से-सैन्य और सूचना-साझा सहयोग को उन्नत किया है. हमारा ध्यान अब हमारे सहयोग को संस्थागत बनाने और नियमित करने के साथ ही आज की चुनौतियों का सामना करने और भविष्य में एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के सिद्धांतों को बनाए रखने पर होना चाहिए."
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