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संगीत सम्राट उस्ताद राशिद खान (Ustad Rashid Khan) ने मंगलवार, 9 जनवरी को दुनिया को अलविदा कहा. उन्होंने 55 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उस्ताद राशिद खान पिछले 4 सालों से कैंसर से जूझ रहे थे, उनका कोलकाता के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. वह वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे. उनके परिवार में उनका बेटा, दो बेटियां और पत्नी हैं.
उस्ताद राशिद खान के निधन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुख जताया है. उन्होंने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर लिखा, "हमारे समय के भारतीय शास्त्रीय संगीत के महानतम प्रतिपादकों में से एक, उस्ताद राशिद खान के निधन से गहरा दुख हुआ है. उस्ताद राशिद खान सचमुच एक विश्व प्रसिद्ध शास्त्रीय भारतीय गायक कलाकार थे."
उस्ताद राशिद खान की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के बदायूं में उनका जन्म हुआ था. उन्होंने अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण अपने नाना उस्ताद निसार हुसैन खान (1909-1993) से प्राप्त किया. वह मियां तानसेन की 31वीं पीढ़ी हैं. राशिद खान ने अपनी पहली मंचीय प्रस्तुति ग्यारह साल की उम्र में दी थी.
10 साल की उम्र में वो अपने नाना निसार हुसैन खान के साथ कोलकाता चले आए थे. राशिद खान 14 साल की उम्र में अकादमी में शामिल हुए. 1994 में उन्हें औपचारिक रूप से अकादमी में एक संगीतकार के रूप में पहचान मिली.
अपने जीवन काल में उस्ताद राशिद खान ने शास्त्रीय हिंदुस्तानी संगीत को हल्के संगीत शैलियों के साथ मिश्रित करने का साहस दिखाया और पश्चिमी वाद्ययंत्र वादक लुइस बैंक्स के साथ संगीत कार्यक्रम सहित प्रयोगात्मक सहयोग में लगे रहे. इसके साथ ही, उन्होंने जुगलबंदियों में सितारवादक शाहिद परवेज सहित अन्य संगीतकारों के साथ मंच साझा करके अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया.
पद्म श्री (2006)
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2006)
ग्लोबल इंडियन म्यूजिक एकेडमी अवॉर्ड्स (GIMA) (2010)
बंगाभूषण (2012)
पद्म भूषण (2022)
उस्ताद राशिद खान ने कई बॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा. उन्होंने शाहिद कपूर और करीना कपूर की फिल्म 'जब वी मेट' में 'आओगे जब तुम' बंदिश को अपनी आवाज से सजाया था, जो काफी पॉपुलर हुई थी. इसके अलावा 'माय नेम इज खान', 'राज 3', 'मंटो' और 'शादी में जरूर आना' जैसी फिल्मों में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा था.
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