लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) नहीं रहीं. 92 साल की उम्र में निधन हो गया. आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके गाने हमारे अंदर हमेशा जिंदा रहेंगे. एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने बताया था कि उन्होंने फिल्मों के गाने सुनना लगभग बंद कर दिया था. लता जी ने आज के दौर के संगीत पर भी अपनी बात रखी थी.
लता जी से सवाल किया गया कि हम आपको फिल्मों में या किसी रिकॉर्डिंग में क्यों नहीं सुन पा रहे हैं. फिर भले ही वह शास्त्रीय, भक्ति संगीत या गजल हो? तब उन्होंने जवाब दिया, क्या यह भी कोई पूछने वाला सवाल हुआ? संगीत अब फिल्मों में रहा ही नहीं. जहां तक बात शास्त्रीय संगीत की है तो यह पहले जैसा ही है.
मेरी पीढ़ी का फिल्मी संगीत पूरी तरह से बंद हो गया है. फिल्म निर्माता और संगीतकार मुझसे कहते हैं कि बाजार बदल गया है. युवा पूरी तरह से अलग तरह का संगीत और मनोरंजन चाहते हैं.
उन्होंने कहा, टेक्नॉलजी की प्रगति के साथ, सिंथेसाइजर और डिजिटल इफेक्ट ने बढ़िया वाद्य यंत्रों की जगह ले ली है. स्वर अक्सर इतने तूफानी गति वाले होते हैं कि गीत को मुश्किल से समझा जा सकता है. कोई इंसान गा रहा है ये अब बाद में आता है पहले मशीनों से बनी आवाजें और आवाज को बदलना सर्वोपरि हो गया है.
ये आजकल की पढ़ी का संगीत क्या है, यह जानने के लिए अपने कानों पर दबाव डालने के बजाय, मैंने इन्हें सुनना बंद कर दिया है. मैं ये बात कोई अभिमानपूर्ण हो कर नहीं कह रही. मैंने अपने खुद के गाने और अपने साथियों की पुरानी फिल्मों के हिट गानों को सुनना भी बंद कर दिया है.
'मैं अपने गीतों को फिर से बजाने से परहेज करती हूं'
लता जी ने कहा था, मेरा मानना है कि पुराने जमाने की धुनों, भूले-बिसरे गीत के लिए श्रोताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जो आश्चर्य की बात नहीं है. जाहिर है, पुराने गाने खास थे और अगर मैं कहूं तो, मैं अपने गीतों को फिर से बजाने से परहेज करती हूं.
लता जी का जवाब सुनकर पूछा गया कि क्या अब वे संगीत बिल्कुल नहीं सुनतीं? तब उन्होंने कहा, नहीं. नहीं. उस अवस्था में आने के लिए मुझे अपने कान काटने पडेंगे. लेकिन जब भी मेरा कुछ सुनने का मूड करता है तो मैं मेहदी हसन और गुलाम अली की गजलें और बड़े गुलाम अली खान और उस्ताद आमिर खान के शास्त्रीय गायन सुनती हूं.
लता जी से पूछा गया कि क्या आज किसी गाने की लोकप्रियता उसके वीडियो प्रेजेंटेशन और सोशल मीडिया नेटवर्क पर प्रचार पर निर्भर करता है? तब उन्होंने कहा, समय-समय की बात है. विजुअल अब ऑडियो जितना ही महत्वपूर्ण है. हमारी प्रमुख रिकॉर्ड कंपनियों ने पैकअप कर लिया है. कुछ सारेगामा और सोनी जैसे बच गए हैं लेकिन उनका राजस्व पूरी तरह से ऑनलाइन बिक्री से होता है.
खास बात यह है कि अगर कोई ऑनलाइन संगीत खरीदना चाहता है, तो वह सिर्फ एक गाना हो सकता है, न कि पूरा एल्बम. अवैध तरह से डाउनलोड बड़े पैमाने पर हो रहा है. संगीत बाजार, जैसे, जा रहा है, धीरे से चला जाएगा.
लता जी, अवार्ड ट्राफियों को साड़ी में लपेटकर क्यों रखती थीं?
लता जी से पूछा गया, क्या ये आपका सेंस ऑफ ह्यूमर है या विवेक कि आपने अपने छह फिल्मफेयर अवार्ड ट्राफियों को कवर किया है. उनके चारों ओर एक साड़ी लपेटी है, क्योंकि डिजाइन एक नग्न महिला की दिखती है. तब उन्होंने कहा था, अब खुश करने वाला है. मैंने देखा कि मूर्तियां नंगी हैं. मेरी बहन मीना ने उन्हें साड़ियों से लपेटने का आइडिया दिया था. तो वहीं वे साड़ियों में काफी विनम्र नजर आ रही हैं.
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