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भारत में सिविल सेवाओं को बेहद जिम्मेदार और ताकतवर पद माना जाता है, जिन पर लंबी परीक्षा के बाद नियुक्ति मिल पाती है.इस पद की ओर लोग प्रेरणा के साथ देखते हैं. लेकिन कभी-कभी कुछ अधिकारियों के फैसले इस पद की गरिमा को ठोस पहुंचाते हैं. कई बार इनमें संवेदनहीनता और कुलीनता की झलक दिखाई देती है. ऐसा ही एक ताजा मामला उत्तर प्रदेश से सामने आया है.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे ने अपनी गाय की देखभाल के लिए 7 डॉक्टरों की ड्यूटी का आदेश दिया है. वेटनरी डॉक्टरों की तैनाती करने वाले, फतेहपुर पशु चिकित्साधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेश की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
बता दें कि 9 जून को जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि गायों की देखभाल करने वाले सभी डॉक्टरों को सुबह-शाम अपनी रिपोर्ट भी सौंपनी होगी.
आदेश में यह तक कहा गया है कि जिलाधिकारी की गाय की चिकित्सा में शिथिलता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यहां तक किए एक पशु चिकित्सा अधिकारी को बैकअप के तौर पर तक रखा गया है.
सोशल मीडिया पर लोग जिलाधिकारी के इस आदेश पर सवाल उठा रहे हैं. लोगों का कहना है कि जिलाधिकारी की निजी गाय होने के चलते प्रशासन के संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा उसकी सेवा में लगाया जा रहा है, जो हास्यास्पद है.
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